नयी दिल्ली 23 जून, सरकार द्वारा विमान सेवा कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत करने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय कानूनों के कारण विदेशी कंपनियों के लिए इस क्षेत्र में निवेश के रास्ते बंद रह सकते हैं। अंतर्राष्ट्रीय नागर उड्डयन संगठन (आईसीएओ) के नियमों के अनुसार, यदि किसी एयरलाइंस में विदेशी निवेश इतना है कि उसका नियंत्रण विदेशी हाथों में है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय उड़ान की अनुमति नहीं है। इसका तात्पर्य यह है कि किसी एयरलाइंस में 50 प्रतिशत से अधिक एफडीआई होने पर वह अंतर्राष्ट्रीय उड़ान नहीं भर सकेंगी। इसलिए विदेशी कंपनियों के उनमें निवेश रास्ता बंद हो जायेगा। नागर उड्डयन विभाग के सचिव राजीव नयन चौबे ने आज एक कार्यक्रम से इतर इस बाबत पूछे जाने पर कहा “यदि किसी कंपनी में 49 प्रतिशत से अधिक एफडीआई है तो विदेशों में उड़ान भरने में द्विपक्षीय अधिकार को लेकर दिक्कत हो सकती है। लेकिन, यदि आप देश की सीमा के भीतर उड़ान भरना चाहते हैं तो (एफडीआई) के लिए कोई सीमा नहीं है।” सरकार ने सोमवार को विदेशी निवेश नीति में बदलाव कर विमान सेवा कंपनियों में एफडीआई की सीमा 49 प्रतिशत से बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दी है। इसमें 49 प्रतिशत स्वत: मंजूरी मार्ग से और इससे ऊपर सरकारी मंजूरी मार्ग से किया जा सकता है।
गुरुवार, 23 जून 2016
अंतर्राष्ट्रीय उड़ान वाली कंपनियों को एफडीआई बढ़ने का फायदा नहीं
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