जल की महता, उपलब्धता, जल बर्बादी रोकने व जल बचाने पर चर्चा - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 23 जून 2016

जल की महता, उपलब्धता, जल बर्बादी रोकने व जल बचाने पर चर्चा

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दिल्ली विष्वविद्यालय के (उच्च षिक्षा में व्यवसायिक विकास) केन्द्र में चल रहे ‘‘वैष्विक रैफ्रेषर कोर्स में केन्द्र निदेषक डा. (प्रो.) सुश्री गीतासिंह की अध्यक्षता में पर्यावरणविद् एवं जल स्टार रमेष गोयल ने वैष्विक स्तर पर जल की महता, उपलब्धता, जल बर्बादी रोकने व जल बचाने के साधन व जल की कमी के कारणों पर प्रकाष डालते हुए विभिन्न महाविद्यालयों से आए हुए लेक्चरारों को सम्बोधित करते हुए घरेलु, कृशि, औद्योगिक व पर्यावरणीय जल खपत के विशय में बताया। विष्व के 43 देषों (भारत, चीन, अमेरिका आदि) में 2006 में पानी के आभव की स्थिती के बारे में बताया कि विष्व में 2.8 अरब लोगों को वर्श में एक मास पानी नहीं मिलता वहीं 1.2 अरब लोग स्वच्छ जल से वंचित रहते हैं। सन् 2000 में सम्पन्न वैष्विक सहत्राब्दी आयोजन में सभी देषों ने इस संख्या को कम करने का संकल्प लिया था परन्तु स्थिति बद से बदतर हुई है। सुडान के 4 करोड़ में से 1.23 करोड़, टयूनिषिया में 1.10 करोड़ में से 21 लाख, क्यूबा में 1.09 करोड़ में से 13 लाख लोग, चीन के 1.38 अरब लोगों में 54 लाख लोग स्वच्छ जल से वंचित रहते हैं। विष्व की आबादी सन् 2000 में 6.20 अरब थी, अब 7.43 अरब तथा 2050 तक 9 अरब होने की सम्भावना है।  

पानी की कमी के कारणों पर प्रकाष डालते हुए उन्हांेने कहा कि कटते जंगल, बढ़ते प्रदूशण से वैष्विक तापमान बढ़ रहा है जिसका जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है।  अति वर्शा होती है जिससे बाढ़ आती है व विनाष होता है। कम वर्शा से सुखा होता है  व नदियों में जल नहीं होता। जनसंख्या वृद्धि, तीव्र षहरीकरण, औद्योगिकरण, तालाबों, झीलों व जल भंडारों का अतिक्रमण या सुख जाना, मुफत बिजली-पानी वितरण के साथ साथ कुप्रबन्ध, भश्ट्राचार, मूलभूत सुविधाओं में निवेष की कमी इसके प्रमुख कारण हंै। उन्हांेने कटते जंगलों पर चिन्ता व्यक्त करते हुए कहा कि आधुनिकरण व विकास के नाम पर ही वृक्ष नहीं कट रहे बल्कि विष्व स्तर पर वन माफिया इस कार्य में जुटे हैं जिन्हंे राजनेताओं व अफारषाही का आषिर्वाद प्राप्त है। भूजल के विशय में उन्हांेने बताया कि 1960 के बाद भू-जल दोहन आरम्भ हुआ जो आज खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। चीन, भारत, अमेरिका, इरान, बंगलादेष, मैक्सिको, सऊदी अरब, इंडोनेषिया व इटली सर्वाधिक भूजल दोहन वाले देष हैं। भारत के 5723 भू-जल ब्लाकों में से लगभग आधे डार्क जोन यानि खतरनाक स्थिति में हैं। पहले 25-30 फुट पर मिलने वाला भूजल अब 250 से 400 फुट तक गिर चुका है। घरेलु उपयोग में जल की बर्बादी के साथ साथ टंकी ओवर फलो, फलष में फिजूल खर्च, आरओ के बेकार जल के बारे में चर्चा करते हुए मोहल्ले से लेकर वैष्विक स्तर तक होने वाले झगड़ों के विशय में बताते हुए उन्होंने कैलिफोर्निया जल युद्ध व अन्य ऐसे विवादों की जानकारी दी। जल संरक्षण के छोटे छोटे उपायों के साथ साथ वाटर हारवैस्टिंग के ढंग बताये। इस अवसर पर डा0 बलवान सिंह ने उनका अभिनन्दन व डा. रसाल सिंह ने आभार व्यक्त किया। सभी उपस्थित भागीदारों को जल चालीसा वितरित किया गया। 

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