नयी दिल्ली 22 जून, सरकार ने देश के इतिहास में अब तक की सबसे बडी 2300 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम की नीलामी और उसके आधार मूल्य को आज मंजूरी प्रदान कर दी। हालाँकि, स्पेक्ट्रम उपयोग शुल्क (एसयूसी) के मुद्दे को फिर से दूरसंचार नियामक ट्राई को भेज दिया गया। इस नीलामी से सरकार को करीब 5700 अरब रुपये मिलने की उम्मीद है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में यहाँ हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिये गये निर्णयों की जानकारी देते हुये वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि स्पेक्ट्रम नीलामी को मंजूरी दे दी गयी है, लेकिन एसयूसी के मुद्दे पर दूरसंचार आयोग और अटाॅर्नी जनरल की राय के बाद उसे फिर से ट्राई को भेजने के लिए कहा गया है।
गत 07 जून को दूरसंचार आयोग ने सभी बैंडों में एसयूसी को ऑपरेटरों के सकल राजस्व के तीन प्रतिशत तक रखने का प्रस्ताव किया था, जबकि जनवरी 2014 में सरकार ने इस शुल्क को पाँच फीसदी पर रखने का निर्णय लिया था। अभी एसयूसी की गणना ऑपरेटर के कुल स्पेक्ट्रम पर की जा रही है। दूरसंचार आयोग ने यह भी प्रस्ताव किया था कि 1800 मेगाहर्ट्ज, 2100 मेगाहर्ट्ज, 2300 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक गीगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों को 50 फीसदी राशि का भुगतान पहले करना होगा और शेष राशि का भुगतान 10 वर्षाें में दो वर्ष की छूट बाद करनी होगी। पहले कंपनियों को 33 फीसदी राशि का अग्रिम भुगतान करना पड़ता था। 700 मेगाहर्ट्ज, 800 मेगाहर्ट्ज और 900 मेगाहर्ट्ज बैंड में एक गीगाहर्ट्ज से अधिक स्पेक्ट्रम हासिल करने वाली कंपनियों को 25 फीसदी राशि पहले चुकानी होगी और शेष राशि 10 वर्षाें में देनी होगी।

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