नयी दिल्ली 23 जून, कांग्रेस महासचिव गुरुदास कामत ने पार्टी और अपने पद से दिए गए इस्तीफे को आज वापस ले लिया। श्री कामत ने दो सप्ताह पहले घोषणा की थी कि वह कुछ निजी कारणों से अपने पद और कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे रहे हैं ताकि सामाजिक कार्यों पर ध्यान दे सकें। उन्होंने आज अपने समर्थकों भेजे संदेश में कहा,“ लगभग दो हफ्ते पहले मैंने कुछ निजी कारणों से पार्टी के महासचिव पद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया था ताकि मैं किसी भी पार्टी संबंधित रहे बिना सिर्फ समाज सेवा पर ध्यान दे सकूं लेकिन पार्टी के सभी वरिष्ठ नेताओं ने मुझे निर्णय पर पुनर्विचार करने के लिए कहा और अब पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद मुझे लगता है कि कांग्रेस पार्टी ही इस देश के लोगों की सेवा करने का सर्वश्रेष्ठ माध्यम है।”
श्री कामत ने कहा कि वह श्रीमती गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में उसी ऊर्जा के साथ काम करते रहेंगे जिस उत्साह और ऊर्जा के साथ वह अब तक काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कल देर रात उन्हें सूचना मिली कि उन्हें वापस गुजरात, राजस्थान, दादरा नागर हवेली तथा दमन और दीव का प्रभार दिया गया है और वह कल से अपने प्रभारी राज्यों के लोगों से मिलना शुरू करेंगे। श्री कामत ने लगभग एक पखवाड़े पहले कांग्रेस और अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी जिससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। श्री कामत गांधी परिवार के वफादार माने जाते हैं और उनके इस्तीफे के बाद उन्हें मनाने के प्रयास काफी तेज हो गए थे । श्रीमती गांधी ने स्वयं उनसे फोन पर बातचीत की और इसके बाद श्री कामत ने उनसे और श्री गांधी से मुलाकात की।
श्री कामत ने कहा कि वह श्रीमती गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी के नेतृत्व में उसी ऊर्जा के साथ काम करते रहेंगे जिस उत्साह और ऊर्जा के साथ वह अब तक काम करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि कल देर रात उन्हें सूचना मिली कि उन्हें वापस गुजरात, राजस्थान, दादरा नागर हवेली तथा दमन और दीव का प्रभार दिया गया है और वह कल से अपने प्रभारी राज्यों के लोगों से मिलना शुरू करेंगे। श्री कामत ने लगभग एक पखवाड़े पहले कांग्रेस और अपने पद से इस्तीफा देने की घोषणा की थी जिससे कांग्रेस को बड़ा झटका लगा था। श्री कामत गांधी परिवार के वफादार माने जाते हैं और उनके इस्तीफे के बाद उन्हें मनाने के प्रयास काफी तेज हो गए थे । श्रीमती गांधी ने स्वयं उनसे फोन पर बातचीत की और इसके बाद श्री कामत ने उनसे और श्री गांधी से मुलाकात की।

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