नयी दिल्ली, 05 जून, ओलंपिक में दो बार पदक जीतकर इतिहास बनाने वाले पहलवान सुशील कुमार की रियो ओलंपिक में खेलने की उम्मीदों पर सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय अपना फैसला सुनायेगा। सुशील ने ओलंपिक कोटा हासिल कर चुके नरसिंह यादव के साथ 74 किग्रा फ्री स्टाइल वर्ग में ट्रायल कराने के लिये दिल्ली उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी जिस पर पांच बार सुनवाई होने के बाद दिल्ली उच्च न्यायालय ने देश के इस सबसे बहुचर्चित मामले पर छह जून को फैसला सुनाने का निर्णय लिया था। सोमवार को यह फैसला होगा कि नरसिंह ओलंपिक जायेंगे या फिर सुशील के साथ उनका ट्रायल होगा। सुनवाई के दौरान अदालत ने भी यह कह दिया है कि नियमों में कहीं यह बात नहीं है कि ट्रायल कराना जरूरी है1 सरकार भी यह कह चुकी है कि इसमें उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है और इसका फैसला करना फेडरेशन का अपना अधिकार है। कुश्ती महासंघ ने भी कहा है कि उसकी परंपरा यही कहती है कि जिस ओलंपिक पहलवान ने ओलंपिक कोटा हासिल किया है वही ओलंपिक जायेगा। महासंघ ने अदालत को यह भी बताया है कि वह गत तीन मई को वर्ल्ड यूनाइटेड रेसलिंग को नरसिंह का नाम भेज चुका है जो ओलंपिक में कुश्ती की व्यवस्था देखती है। हालांकि इस पर सुशील के वकील का तर्क था कि नाम भेजने की आखिरी तारीख 18 जुलाई है। ऐसे में महासंघ को नाम भेजने की इतनी जल्दी क्या पड़ी थी।
सुशील की ओर से इस मामले में पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अमित सिब्बल ने अदालत के सामने सरकार और भारतीय खेल प्राधिकरण के वे सभी आर्डर रखे थे जिसमें सुशील को कैंप में शामिल होने और जार्जिया में ट्रेनिंग करने के लिये कहा गया था। सिब्बल ने सुशील का तर्क रखा कि यदि उन्हें रियो के लिये नहीं ले जाना था तो उन्हें पहले ही मना कर दिया जाना चाहिये था। वरना वह इतनी कड़ी तैयारी क्यों करते।
भारतीय कुश्ती महासंघ का इस मामले में लगातार एक ही रूख रहा है कि जिस पहलवान ने ओलंपिक कोटा जीता है वही रियो जाएगा। सुशील ने जार्जिया से लौटने के बाद खेल मंत्री और फेडरेशन को पत्र दिया था कि वह पूरी तरह फिट हैं और ट्रायल के लिये तैयार हैं। सुशील का कहना था कि यदि उनका ट्रायल नहीं कराना था तो उन्हें पहले ही मना कर दिया जाना चाहिये था। उन्हें विदेश में ट्रेनिंग के लिये भेजने का फैसला फेडरेशन का था।
नरसिंह ने गत वर्ष लॉस वेगास में सितंबर में हुयी विश्व चैंपियनशिप में 74 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतकर ओलंपिक कोटा हासिल किया है जबकि सुशील चोट के कारण विश्व चैंपियनशिप से पहले ट्रायल में हिस्सा नहीं ले पाये थे। इसके बाद उन्हें खुद को साबित करने का कोई मौका नहीं मिल पाया। सुशील इसी लिये नरसिंह के साथ ट्रायल की मांग कर रहे हैं ताकि सर्वश्रेष्ठ पहलवान ही रियो ओलंपिक जाए।

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