नयी दिल्ली 20 जून, उच्चतम न्यायालय ने बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में नीलगाय, जंगली सूअर और बंदरों को मारने पर रोक लगाने से आज फिलहाल इन्कार कर दिया। न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल और न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर की अवकाशकालीन खंडपीठ ने पशु कल्याण बोर्ड और गैर-सरकारी संगठनों(एनजीओ) की याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं को इस संबंध में अपनी आपत्तियां राज्य सरकारों एवं केंद्र के सामने दर्ज करायें। शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी करने से इन्कार करते हुए उसे निर्देश दिया कि वह याचिकाकर्ताअों की अापत्तियों पर दो सप्ताह के भीतर विचार करेे और आवश्यकतानुसार कदम उठाये। याचिकाकर्ताओं ने नीलगायों, जंगली सूअरों और बंदरों को मारे जाने की अनुमति देने वाली अधिसूचना को शीर्ष अदालत में चुनौती दी है। केंद्र ने बिहार में नीलगाय और जंगली सूअर को नुकसान पहुंचाने वाले पशु (वर्मिन) घोषित करने के लिए गत वर्ष एक दिसंबर को अधिसूचना जारी की थी, जबकि उत्तराखंड में जंगली सूअरों को मारने के लिए दो फरवरी तथा हिमाचल प्रदेश में बंदरों को मारने के लिए 24 मई को अधिसूचना जारी की थी। तीनों अधिसूचनाएं एक साल के लिए हैं। इनके जरिये नीलगाय, जंगली सूअर और बंदरों को वन्य जीव संरक्षण अधिनियम के दायरे से हटा दिया गया है।
सोमवार, 20 जून 2016
नीलगायों को मारने पर रोक लगाने पर इन्कार
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