नयी दिल्ली, 30 जून, उच्चतम न्यायालय ने भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) में व्यापक सुधार को लेकर लोढा समिति की सिफारिशों को लागू किये या नहीं किये जाने के मुद्दे पर गुरूवार को फैसला सुरक्षित रख लिया। मुख्य न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर और न्यायमूर्ति फकरी मोहम्मद इब्राहीम कलीफुल्ला की विशेष पीठ ने सभी संबद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला आज सुरक्षित रख लिया। खंडपीठ अब यह तय करेगी कि न्यायमूर्ति आर. एम. लोढा समिति की सिफारिशें पूरी तरह लागू होंगी या क्रिकेट बोर्ड को इसमें कोई छूट मिलेगी। न्यायमूर्ति ठाकुर ने फैसला सुरक्षित रखते हुए कहा“ हम बीसीसीआई की स्वायत्तता में दखल नहीं दे रहे।
हम सिर्फ खेल का विकास सही तरीके से हो, इसमें दिलचस्पी रखते हैं।” पिछले साल जनवरी में न्यायालय ने बीसीसीआई को नये सिरे से खड़ा करने के लिए उच्चतम न्यायालय के पूर्व मुख्य न्यायाधीश आर एम लोढा की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया था। बीसीसीआई ने लोढा समिति की कई सिफारिशों पर अपनी आपत्ति जताई है। लोढा समिति ने अपनी सिफारिशों में कहा है कि बीसीसीआई के पदाधिकारियों की उम्र 70 साल से अधिक नहीं होनी चाहिए और एक राज्य में सिर्फ एक ही संघ होना चाहिये। सिफारिश में यह भी कहा गया था कि बीसीसीआई का परफॉरमेंस ऑडिट होना चाहिए। आय-व्यय को लेकर जवाबदेही भी होनी चाहिए। लोढा समिति ने गत चार जनवरी को अपनी रिपोर्ट न्यायालय में सौंपी थी, जिसमें उसने मंत्रियों और सरकारी अफसरों को बीसीसीआई से बाहर रखने का सुझाव दिया था। इसके अलावा समिति ने सिफारिश की थी कि एक राज्य को एक ही वोट का अधिकार हो। समिति की रिपोर्ट में बीसीसीआई के प्रशासनिक ढांचे के पुनर्गठन का सुझाव भी दिया गया है और सीईओ के पद का प्रस्ताव रखा है जो नौ सदस्यीय शीर्ष परिषद के प्रति जवाबदेह रहेगा। समिति ने कहा कि अंदरूनी टकरावों से निपटने के लिए बोर्ड का लोकपाल भी होना चाहिए।
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