नयी दिल्ली,15जून, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने आम अादमी पार्टी(आप) विधायकों को संसदीय सचिव नियुक्त करने को लेकर उठे विवाद पर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला करते हुए आज कहा “ये बनाएं तो सही हम बनाएं तो गलत। यह दोगलापन नहीं चलेगा।” श्री केजरीवाल ने दोहरे लाभ के पद को लेकर विवाद में घिरे अपने विधायकों का बचाव करते हुए यहां संवाददाताओं से कहा कि संसदीय सचिव नियुक्त करना कोई नई परंपरा नहीं है। जब कांग्रेस सत्ता में थी तो उसने भी संसदीय सचिव बनाए थे। जब भाजपा आई तो उसके राज में भी संसदीय सचिव बनाए गए। अब ऐसा क्या हो गया जो इतना हंगामा खड़ा कर दिया गया। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुहार लगाते हुए कहा ‘‘मोदी जी मैं हाथ जोडकर विनती करता हूं कि आप को जाे भी बदला लेना है मेरे से लीजिए। मुझे मार लो पीट लो पर दिल्ली के लेागों को परेशान मत करो... दिल्ली में जो काम हो रहे हैं उसकी पूरी दुनिया में चर्चा हाे रही है। ऑड- ईवन योजना हो या फिर मोहल्ला क्लीनिक खोलने की अमेरिका सहित पूरी दुनिया इसकी तारीफ कर रही है। इन कामों को सराहा जा रहा है।यह सब उन विधायकों के बूते ही संभव हुआ जिन्हें संसदीय सचिव बनाया गया है।” मुख्यमंत्री ने सवालिया लहजे में कहा कि क्या आप जानते हैं ये संसदीय सचिव कौन है। ये दिल्ली सरकार के आंख,कान और नाक हैं। दिल्ली के सरकारी स्कूलों में अनियमितता का पता लगाना हो,गरीब बच्चों को दाखिला दिलाना हो, कामचोरी कर रहे टीचरों के खिलाफ कार्रवाई करनी हो, अस्पतालों में गरीबों का इलाज करवाना हो या फिर जहां बिजली नहीं पहुंच रही वहां इसका बंदोबस्त करना हो यह सब काम ये लोग ही कर रहे हैं। दिल्ली सरकार इनके बल पर ही चल रही है। ये पढ़े लिखे लोग हैं अन्य पाटियों में मौजूद अनपढ़ लोगों की जमात नहीं है। श्री केजरीवाल ने कहा कि ये विधायक बिना कोई वेतन भत्ते लिए इतनी बडी जिम्मेदारियां निभा रहे हैं। आप ने इन्हें संसदीय सचिव बना दिया तो इतना हंगामा खड़ हो गया। यह काम तो भाजपा और कांग्रेस भी करती रही है। श्री एचकेएल भगत,कुमारी शांता वशिष्ट और शिवरचरण गुप्ता जैसे विधायक तो 1953 से संसदीय सचिव रहे तब तो किसी ने कोई सवाल नहीं उठाया। अब केजरीवाल ने संसदीय सचिव बना दिया तो तूफान खड़ा हो गया। श्री केजरीवाल पर आरोप है कि उन्होंने आप विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने से पहले केन्द्र की अनुमति नहीं ली जो कि एक संवैधानिक अनिवार्यता है। उन्होंने इस नियुक्ति की मंजूरी के लिए एक विधेयक राष्ट्रपति को भेजा था जिसे लौटा दिया गया। यह मामला दोहरे लाभ के पद का बन जाने से विवाद में फंस गया है।
बुधवार, 15 जून 2016
संसदीय सचिव मामले में दोहरे मानदंड बर्दाश्त नहीं : केजरीवाल
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