बेगूसराय (बिहार) की खबर (30 जुलाई) - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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रविवार, 31 जुलाई 2016

बेगूसराय (बिहार) की खबर (30 जुलाई)

मासूम बच्चों को माँ के प्यार से महरूम किया 

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संतोष कुमार,बलिया,बेगूसराय। आज तकरीबन 11:30 बजे बलिया के वार्ड नं 9,पुरानी दुर्गा स्थान के पास उस वक्त अफरातफरी मच गई जब मुन्ना पौद्दार के घर से उसकी पत्नी नूतन देवी की आग से जली हुई लाश निकली।मुन्ना पौद्दार ने अपनी पत्नी को आग लगा कर ज़िन्दा जला दिया कारण कि आपसी मतभेद,रोज़ का झगड़ा लेकिन स्थल पर पड़ोसियों से पता चला कि आग से जलाने का मुख्य कारण भूख और गरीबी है।रोज़ भूख के कारण ज़िल्लत की ज़िन्दगी से तंग आ कर मृतिका नूतन देवी ने अपने पति मुन्ना पौद्दार को काम करने के लिए कहती थी ताकि बच्चों को दूध और दो वक्त की रोटी मिल सके,लेकिन मज़दूरी भी मज़बूरी में कहां मिलती है,बस गरीबी के आक्रोश ने विवेकहीन बनाकर चार मासूम बच्चों को अपनी माँ से जुदा कर दिया।आदर्श-5 1/2 वर्ष,विष्णु-4 वर्ष,छोटू 3 वर्ष और लक्ष्मी(बेटी) 2 वर्ष।इन चार मासूम बच्चों की ज़िन्दगी का क्या होगा कहना मुश्किल है क्योंकि मुन्ना पौद्दार की भी गिरफ्तारी पत्नी नूतन देवी की हत्या करने के कारण हो चुका है।मृतिका का भाई रामानंद पौद्दार ने बलिया थाना में प्राथमिकी दर्ज किया है जिसका काण्ड संख्या 152/16 है।माँ की मौत और माँ को मारने की सजा में पिता को जेल फिर क्या होगा उन चार मासूम बच्चों की ज़िन्दगी का ये एक बड़ा ही हृदयस्पर्शी सवाल छोड़ जाता है ये घटना।


मुख्य न्यायाधीश का बेगूसराय में भव्य स्वागत

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अरुण कुमार,मटिहानी,बेगुसराय। ,आज बिहार युवा अधिवक्ता कल्याण समिति का राज्यस्तरीय अधिवेशन में आए पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश मो• इकबाल अहमद अंसारी का भव्य स्वागत बी•एम्•पी• सभागार बेगुसराय में किया गया।सभागार में उपस्थित बेगुसराय अधिवक्ताओं के साथ जिलाधिकारी मो• नौशाद यूसुफ,पुलिस कप्तान- रंजीत मिश्र के साथ नगर थाना अध्यक्ष,मुफसिल थानाध्यक्ष,सिंहौल थानाध्यक्ष आदि मौजूद थे। बी यु अ क स पटना ,प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार चौधरी द्वारा वितरित प्रगति प्रतिवेदन विभिन्न जगहों के बैठकों का जिक्र निम्नांकित था।राष्ट्र कवि रामधारी सिंह "दिनकर की इस ऐतिहासिक,धार्मिक व प्राकृतिक सौंदर्य सुषमा एवं सम्पदा से परिपूर्ण इस ईंधन,उर्वरा एवं शक्ति से भरपूर बिहार के इस पावन धारा को नमन।इसी तरह अभिवादनों के साथ न्यायपालिका कल आज और कल के मुख्य वक्ताओं में पटना उच्च न्यायालय से आए मुख्य अतिथि मो• इकबाल अहमद अंसारी ने प्रकाश डालते हुए कहा की कल के बारे में पढ़ने और सुनने से जानकारी मेरे साथ साथ और भी बहुतों को है,आज को हम देख ही रहे हैं और कल के बारे में भी इतना ही कह सकते हैं कि बदला हुआ कल आज की अपेक्षा में होगा।अंसारी ने कल पर प्रकाश डालते हुए बताया कि कल हम लगान दिया करते थे और आज हम टैक्स देते हैं,लगान राजाओं के समय में था और राजा लगान का जो फरमान जारी करते थे वो आम लोगों के हित के लिए नहीं बल्कि स्वयं के सुख सुबिधाओं के लिए।आज जो टैक्स लिया जाता है वो जनता के हित के लिए,टैक्स का पैसा जनता से लेकर जनता के ही हक़ में इस्तेमाल किया जाता है।न्यायपालिका की बात करें तो न्यायपालिका आम लोगों के हित के लिए काम करती है,न्यायपालिका हो रहे अन्याय से न्याय दिलाने के लिए ही है।सभी को अपना हक चाहिए और वो हक न्यायपालिका दिलाती है।पहले कुछ ऐसा था की एकबार किसी की शादी किसी के साथ हो जाती थी तो बस हो गई उसी के साथ जीवन बिताना एक दूसरे की मज़बूरी हो जाती है।अब अगर कोई लड़का बदचलन,आवारा,चोर,बदमाश गुंडा हो जाए और अपने पत्नी की देखभाल नहीं करे तो उस लड़की का क्या होगा?इन्हीं सब बातों को या और भी जीवन के कई ऐसे उलझे गुत्थियों को सुलझाने के लिए ही तो न्यायपालिका होती हैं जिसके जरिए पीड़ितों को न्याय मिल पाता है। इस अधिवेशन का मुख्य उद्देश्य था की न्यायपालिका के बेहतरी के लिए बिभिन्न बिन्दुओं को सरकार के समक्ष रखना।उन बिभिन्न बिन्दुओं में मुख्य बिन्दु कुछ इस प्रकार है।

1.बिहार अधिवक्ता कल्याण निधि अधिनियम 1983 एवं नियमावली 1984 में संशोधन किया जाय-
(क)व्यवसाय निवृति राशि को व्यवसाय प्रतिफल राशि माना जाय।
(ख)प्रत्येक अधिवक्ता हेतु 10 लाख रूपये का सामूहिक जीवन विमा सुनिश्चित किया जाय।
(ग)सदस्यों को दी जाने वाली चिकित्सा सुविधा का प्रावधान उनके आश्रितों पर भी समान रुप से लागू की जाए।
(घ)अधिवक्ता कल्याण मुद्रांक का वर्तमान मूल्य रु• 15=00/-को बढ़ाकर रु• 25=00/-किया जाय तथा जहाँ जहाँ न्याय शुल्क मुद्रांक लगता है वहाँ वहाँ अधिवक्ता कल्याण मुद्रांक लगाने की व्यवस्था की जाय।
2. ऐसे मांगों की सुची जो सरकार के द्वारा 1985 में जेल भरो आन्दोलन के दरम्यान सैद्धान्तिक रुप से मान ली गई थी और जिसका कार्यान्वयन अभी तक नहीं किया गया है उसे अविलम्ब लागू किया जाय।
(क)विधि स्नातकों को तकनीकि स्नातकों के समकक्ष करना।
(ख)अधिवक्ताओं के गृह निर्माण हेतु भू-खण्डों की व्यवस्था करना।
3. बिहार सरकार अपने वार्षिक बजट में प्रावधानित कर कल्याणकारी योजनाओं के संचालन हेतु बिहार राज्य विधिक परिषद् अधिवक्ता कल्याण निधि में तथा पेंसन योजना एवं अन्य कल्याणकारी योजनाओं के संचालन हेतु बिहार राज्य विधिक परिषद अधोवक्ता कल्याण कोष के कोष में प्रतिवर्ष पच्चास पच्चास करोड़ रूपये का अनुदान दे साथ ही न्याय शुल्क से प्राप्त आय का भी 20% हिस्सा दे आदि कई ऐसे मांगे हैं जो न्यायपालिका को व्यवस्थित करने में सहायक होंगे।अब देखना है की सन 1985 से लम्बित मांगो को कब स्वीकृति मिलती है।

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