नयी दिल्ली 10 जुलाई, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के महत्वपूर्ण ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देने और देश को विनिर्माण उद्योग के केंद्र के रुप में विकसित करने के लिए बनाई नयी राष्ट्रीय कैपिटल गुड्स नीति से अगले दस साल में तीन करोड रोजगार के अवसर पैदा करने का लक्ष्य रखा गया है। कैपिटल गुड्स के क्षेत्र में यह अपने तरह की पहली नीति है जिसका उद्देश्य कैपिटल गुड्स के उत्पादन को बढ़ाना है। कैपिटल गुड्स के क्षेत्र में वर्ष 2014-15 में दो लाख 30 हजार करोड़ रुपये का उत्पादन हुआ है जिसे वर्ष 2025 तक साढे सात लाख करोड़ रुपये करने का लक्ष्य रखा गया है। साथ ही इससे 84 लाख से तीन करोड़ तक प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर भी पैदा होंगे। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय कैपिटल गुड्स नीति को मंजूरी दे दी है। इस नीति में निर्यात में कैपिटल गुड्स की मौजूदा हिस्सेदारी 27 प्रतिशत से बढ़कर 40 प्रतिशत पहुंच जाने का अनुमान व्यक्त किया गया है। इससे देश के घरेलू उत्पादन में हिस्सेदारी 60 प्रतिशत से बढ़ कर 80 प्रतिशत तक हो जाएगी। नीति में सभी क्षेत्रों में तकनीकों में सुधार, कौशल उपलब्धता को बढ़ावा, आवश्यक मानदंडों का पालन करने और छोटे उद्योगों के पूंजीगत विकास तथा वृद्धि को बढ़ावा देने का भी लक्ष्य रखा गया है।
सूत्रों ने बताया कि इस नीति से ‘भारत को विश्वस्तरीय कैपिटल गुड्स केंद्र बनाने’ के सपने को साकार किया जा सकेगा। यह नीति समस्त उत्पादन क्षेत्र में भी अहम भूमिका अदा करते हुए ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम को बढ़ावा देगी। नीति के उद्देश्यों को पूरा करने का जिम्मा भारी उद्योग मंत्रालय का होगा जो कि समयबद्ध तरीके से इसके लिए योजनाओं की मंजूरी प्राप्त करेगा। राष्ट्रीय कैपिटल गुड्स नीति काे अंतिम रूप देने से पहले इसके हिस्सेदारों, उद्योग परामर्शदाताओं, विशेषज्ञों तथा विभिन्न मंत्रालयों के साथ गहन विचार विमर्श किया गया है। इस नीति की मुख्य सिफारिशें और तथ्य कैपिटल गुड्स जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र के विकास को तेजी देने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर तैयार की गई हैं। नीति का लक्ष्य कैपिटल गुड्स क्षेत्र में परिवर्तनकारी रणनीतियां लागू करना है। इसमें जो मुख्य मसलों पर विचार किया गया है उसमें वित्तीय उपलब्धता, कच्चे माल, नवाचार तथा तकनीक, उत्पादकता, गुणवत्ता और पर्यावरण के अनुकूल उत्पादन के तरीके, निर्यात को बढ़ावा देना और घरेलू मांग पैदा करना है। सरकार का मानना है कि कैपिटल गुड्स के क्षेत्र में औद्योगिक इकाईयों की मौजूदा विनिर्माण क्षमता काफी कम है और इसे लगभग 40 प्रतिशत तक बढ़ाया जा सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें