गुजरात में राज्य मशीनरी और पुलिस के संरक्षण में अपराधी गौरक्षा समितियों ने दलितों पर किया हमला. - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 31 जुलाई 2016

गुजरात में राज्य मशीनरी और पुलिस के संरक्षण में अपराधी गौरक्षा समितियों ने दलितों पर किया हमला.

  • बिहार विधानसभा से गुजरात दलित उत्पीड़न के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की माले करेगा मांग.
  • टाॅपर घोटाला के राजनीतिक संरक्षण की न्यायिक जांच और अन्य मुद्दों पर 1 अगस्त को विधानसभा के समक्ष धरना.

cpi-ml-logo
पटना 31 जुलाई 2016, ऊना की घटना देश के विभिन्न हिस्सों में चल रही घटनाओं का ही एक दोहराव है. पूरी घटना में साफ तौर पर दिखता है कि किस तरह राज्य प्रशासन, पुलिस और हिंदू हितों की रक्षा के नाम पर समाज में मौजूद विभिन्न लंपट - गुंडा तत्वों का संगठित गठजोड़ आरएसएस - भाजपा के ऐजेंडे को लागू कर रहा है. ऊना के आसपास के गांवों में भी लंपट - अपराधी तत्वों ने अपने आप को गौ रक्षक बताते हुए गौ रक्षा दल बनाऐ हैं.  इस घटना के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों/कर्मियों को तत्काल निलंबित कर उनके ऊपर दलित एक्ट के मुताबिक कार्यवाही की जानी चाहिए. इस पूरे मामले में राज्य की भाजपा सरकार और उसके इशारे पर पुलिस - प्रशासन ने लगातार अपराधियों को बचाने का काम किया है. यह इस बर्बर घटना पर उसके द्वारा की गई कार्यवाही से स्पष्ट हो जाता है. हम जब इस घटना के 15 दिन बीत जाने के बाद इस इस गांव में पहुंचे तो तब तक पूरी घटना में शामिल 40 से ज्यादा लोगों में से सिर्फ 17 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी. ग्रामीण इस बात का जिक्र स्पष्ट तौर पर करते हैं कि पूरी घटना पुलिस की शह पर हुई लेकिन मात्र तीन पुलिस वालों को निलंबित किया गया है. दिनांक 11.07.16 को धारा 307, 395, 324, 323, 504 और ‘गुजरात पुलिस एक्ट’ 135 आई.पी.सी. व ।बजतवबपजपे ंबज बवसनउपद ेमबण्3 ;2द्ध ;5द्ध के तहत मात्र 6 लोगों को ही नामजद किया गया.


इस दौरे के बाद स्थानीय जनता - ग्रामीणों और प्रभावितों से बातचीत करने के बाद हमने महसूस किया है कि केन्द्र में सत्ता में आने के बाद मोदी सरकार ने पूरे देश में अल्पसंख्यकों - दलितों - लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखने वाले संगठनों व्यक्तियों पर हमला लगातार तेज हुआ है. गुजरात प्रकरण ने इसे और भी वीभत्स तरीके से सामने ला दिया है. दलितों को बुरी तरह अपमानित और पीटे जाने वाले इस प्रकरण के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री आनंदी बेन पटेल ने जिस तरह उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाकर अपराधियों को परोक्ष रूप से शह दी उसके लिए जांच टीम मांग करती है कि मुख्यमंत्री को दलितों से माफी मांगते हुए अपने पद से इस्तीफ देना चाहिए. ऊना में  तथाकथित गौ रक्षकों द्वारा हमले में बुरी तरह मारे और अपमानित किए गए दलित नौजवानों के परिवारों से मुलाकात की. ऊना कस्बे के पास स्थित मोटा समधिया गांव की आबादी 3000 है, इसमें 26 -27 दलित परिवार रहते हैं. सभी दलित परिवारों के लोग खेत मजदूर हैं, नौजवानों का एक छोटा हिस्सा पढ़ा लिखा बेरोजगार है. इन दलित परिवारों में सिर्फ एक परिवार (बालू भाई वीरा भाई समदिया) मरे हुए घरेलू जानवरों का चमड़ा उतरने का काम करता है. यह हमला इसी परिवार के नौजवानों पर किया गया 

अपने दौरे में जांच दल अहमदाबाद के चांदखेड़ा में इस घटना के विरोध में विभिन्न दलित संगठनों द्वारा चलाए जा रहे धरने में भी शामिल हुआ और उनकी मांगों और आंदोलन के प्रति अपनी एकजुटता जाहिर की. गंभीर रूप से घायल सभी दलितों को अविलंब 5 - 5 लाख रूपए का मुआवजा दिया जाय साथ ही उन्हें सम्मानजनक ढंग से जिंदगी बसर करने के लिए रोजगार की गारंटी सरकार करे. गुजरात के इस बर्बर प्रकरण में जांच दल मांग करता है कि जगह जगह गठित गौ - रक्षा दलों (जिनमें कि आरएसएस और शिवसेना के लोग ही हैं) पर तत्काल गुजरात में प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए. जांच टीम में भाकपा माले के पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ प्रभात कुमार, अखिल भारतीय खेत मजदूर सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और पूर्व सांसद रामेश्वर प्रसाद सिंह, आॅल इंडिया पीपुल्स फोरम के तुषार परमार, इंकलाबी नौजवान सभा के राष्ट्रीय सचिव अमित पटनवाडिया और ब्लैक पैंथर के अभिषेक परमार शामिल थे. भाकपा-माले बिहार विधानसभा के सत्र चालू सत्र में गुजरात में दलितों के बर्बर दमन के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाने की मांग करेगी. इधर बिहार में मुजफ्फरपुंर, दरभंगा आदि जगहों पर दलितों-गरीबों पर बढ़ते सामंती-सांप्रदायिक पर रोक लगाने, टाॅपर घोटाले के राजनीतिक संरक्षण की उच्चस्तरीय जांच कराने, अनाज के बदले पैसा योजना वापस लेने, मध्यान्ह भोजन योजना को एनजीओ के हवाले किए जाने के खिलाफ 1 अगस्त को विधानसभा के समक्ष एक दिवसीय धरना दिया जाएगा.

कोई टिप्पणी नहीं: