- बनारस समेत देश के तमाम संगीतज्ञों में शोक की लहर
- भोगाबीर स्थित आवास पर कलाकारों और संगीत प्रेमियों का जमावड़ा
- फिल्म अभिनेता गोविंदा लच्छू महाराज के भांजे हैं
बनारस घराने के प्रख्यात तबला वादक पद्मश्री लक्ष्मी नारायण सिंह उर्फ लच्छू महाराज की थिरकने वाली अंगुलियां खामोश हो गईं। कहते है जब उनकी अंगुलियां तबले पर पड़ती थी तो लोग मंत्रमुग्ध हो झूमने लग जाते थे। सीने में तेज दर्द की शिकायत पर उन्हें अस्पताल ले जाया गया जहां उन्होंने बुधवार की रात अंतिम सांस ली। लच्छू महाराज लगभग 73 वर्ष के थे। वह वर्तमान में विश्व के सर्वश्रेष्ठ तबला वादकों में थे। सुबह उनके निधन की सूचना मिलते ही बनारस समेत देश के तमाम संगीतज्ञों में शोक की लहर दौड़ गई है। भोगाबीर स्थित आवास पर कलाकारों और संगीत प्रेमियों का जमावड़ा शुरु हुआ तो थमा नहीं। लोग संवेदनाएं व्यक्त कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित करते रहे। शुक्रवार को सुबह 8 बजे मणिकर्णिका घाट पर अंत्येष्टि की जाएगी। उनकी बेटी चंद्रा नारायणी जो अभी स्विट्जरलैंड में हैं, सूचना पाते ही वहां से रवाना हो गई हैं। देश के विभिन्न हिस्सों से संगीतज्ञों के बनारस में जुटने की संभावना है।
लच्छू महाराज का जन्म 16 अक्टूबर 1944 को संकटमोचन इलाके में हुआ था। बचपन में तबले के प्रति ललक देख पिता वासुदेव के सानिध्य में तबला वादन सीखना शुरू किया था। लच्छू महाराज को भारत सरकार ने 1972 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा था लेकिन उन्होंने उस वक्त पुरस्कार लेने से इंकार कर दिया था। वह कहते थे कि किसी कलाकार को अवार्ड की जरूरत नहीं होती। श्रोताओं के दिल से निकली वाह और तालियों की गड़गड़ाहट सबसे बड़ा पुरस्कार है। स्वाभिमानी, अक्खड़ लच्छू महाराज ने आजीवन सिद्धांतों से समझौता नहीं किया। लच्छू महाराज अपने मस्तमौला और खाटी बनारसी अंदाज के लिए जाने जाते थे। वह अपनी चाहत पर ही तबला बजाते थे, कभी किसी की मांग पर तबला नहीं बजाया। उन्होंने देश-दुनिया के बड़े आयोजनों में तबला वादन किया। तबले की थाप पर सबको झूमने के लिए मजबूर कर देते थे। उनके बारे में कहा जाता है कि जब वह ‘ताक धिन धिन्ना‘ की धुन निकालते तो पूरा माहौल झूम उठता था। लच्छू महाराज की खासियत थी कि वह चारों घराने का तबला बजाते थे। लच्छू महाराज सात भाइयों में दूसरे नंबर थे। उनके परिवार में पत्नी टीना और एक बेटी है। वर्तमान में दोनों स्विटजरलैंड में हैं। वह फिल्म अभिनेता गोविंदा लच्छू महाराज के भांजे हैं। जबकि गायक शमशेर अली समेत कई नामी-गिरामी कलाकार इनके शिष्यों की सूची में शामिल हैं। संकट मोचन मंदिर परिसर में होने वाले संगीत समारोह यानी हनुमत दरबार बराबर भाग लेते रहे थे। लच्छू महाराज एक्टर गोविंदा के मामा थे। ऐसे में गोविंदा के काशी पहुंचने की उम्मीद जताई जा रही है।
(सुरेश गांधी)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें