बेंगलुरु, 01 जुलाई, स्वदेशी तकनीक से निर्मित हल्के लड़ाकू विमान ‘तेजस’ को आज वायुसेना के बेड़े में शामिल कर लिया गया। तेजस को यहां एक भव्य समारोह में वायुसेना की 45वीं स्क्वैड्रन ‘फ्लाइंग डैगर्स’ में शामिल किया गया। इस विमान को पिछले तीन दशक से डिजाइन एवं विकसित किया जा रहा था। दक्षिणी एयर कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ एयर मार्शल जसबीर वालिया ने फ्लाइंग डैगर्स के ग्रुप कैप्टन माधव रंगाचार्य को दो विमान सौंपे। ग्रुप कैप्टन रंगाचार्य ने विमान को पहली बार उड़ाया। शुरूआत में इस स्क़्वाड्रन को बेंगलुरु से संचालित किया जाएगा और 2018 में इसे तमिलनाडु में कोयंबटूर के निकट सुलुर वायुसैनिक अड्डे पर स्थानांतरित कर दिया जाएगा। तेजस एक उत्कृष्ट विमान है जिसका हवाई और सुरक्षा रिकाॅर्ड दुनिया के किसी भी लड़ाकू विमान को टक्कर दे सकता है। विकसित होने के चरण में तेजस ने ढाई हजार घंटे के सफर में 3000 बार उड़ान भरी है और इस दौरान इस का प्रदर्शन बेहतरीन रहा है। वायु सेना के अनुसार तेजस में शुरू में 40 से अधिक कमियां थी जिनमें से ज्यादातर को दूर कर लिया गया है और इन विमानों से संबंधित केवल 18 मुद्दे ही अब ऐसे हैं जिनका समाधान होना बाकी है। उन्होंने कहा कि इनमें से ज्यादातर रख-रखाव से संबंधित हैं आैर उम्मीद है कि ये समय के साथ दूर हो जायेंगे।
पहले स्क्वाड्रन को वर्ष 2018 तक 20 तेजस विमान मिल जायेंगे जो प्रारंभिक संचालन मंजूरी के अनुरूप होंगे। इसके साथ-साथ 20 विमानों का दूसरा स्क्वाड्रन तैयार किया जायेगा जिसके विमान अंतिम संचालन मंजूरी के अनुरूप होंगे और ये विमान सभी उन्नत प्रौद्योगिकी और हथियारों तथा राडार से लैस होंगे। वायु सेना आने वाले समय में कुल 120 तेजस विमानों को अपने लड़ाकू बेडे में शामिल करेगी जिनमें से 80 विमान मार्क -1 ए मानकों के अनुरूप होंगे। ये विमान भारतीय वायु सेना की ताकत माने जाने वाले मिग 21 की जगह लेंगे और हवाई सीमा की रक्षा का मोर्चा संभालेंगे। वायुसेना अधिकारियों का कहना है कि यदि तेजस की तुलना पाकिस्तान के जे एफ -17 विमान से की जाये तो यह बेहतर है और मिग 21 की तुलना में भी तेजस कहीं अधिक सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि उन्नत तेजस मार्क-1 ए विमान पहले दो स्क्वाड्रनों के विमानों से कहीं बेहतर होंगे। इनमें हवा में ही ईंधन भरा जा सकेगा और ये अत्यंत अत्याधुनिक राडार प्रणाली से लैस होंगे।

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