नयी दिल्ली,12 जुलाई, भारत को 2014 के इंचियोन एशियाई खेलों में अपनी कप्तानी में स्वर्ण पदक दिलाकर सीधे रियो ओलंपिक के लिये क्वालीफाई कराने वाले स्टार मिडफील्डर सरदार सिंह इन खेलों के लिये अपनी कप्तानी छिनने से निराश नहीं हैं और उनका मानना है कि कप्तानी नहीं ओलंपिक में पदक जीतना सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है। रियो ओलंपिक के लिये मंगलवार को यहां भारतीय पुरूष एवं महिला टीमों की घोषणा की गई और पुरूष टीम का कप्तान गोलकीपर पी आर श्रीजेश को बनाया गया। टीमों की घोषणा के बाद अधिकतर मीडियाकर्मी सरदार की प्रतिक्रिया जानने उनकी तरफ लपक पड़े। अंदाजा यह लगाया जा रहा है कि सरदार पर यौन शोषणा के आरोपों के चलते उन्हें कप्तानी से हटाया गया है। हालांकि सरदार ने इन बातों को सिरे से खारिज करते हुये कहा“ यह एक व्यक्तिगत मामला है और इसका टीम की कप्तानी से कोई लेना देना नहीं है। हाॅकी इंडिया ने जो फैसला लिया है वह मुझे मंजूर है। यहां बात मेरे कप्तान होने या न हाेने की नहीं है बल्कि बात टीम के प्रदर्शन की है। टीम अलग अलग कप्तानों के नेतृत्व में खेलती रही है।
हमारा ध्यान टीम के प्रदर्शन पर होना चाहिये।” यहां एक तथ्य दिलचस्प है कि 2012 के लंदन ओलंपिक में गोलकीपर भरत छेत्री भारतीय टीम के कप्तान बने थे और तब सरदार को उपकप्तानी मिली थी। इस बार सरदार से कप्तानी छिनी और गोलकीपर पी आर श्रीजेश को कप्तान बनाया गया। सरदार ने कप्तानी के मुद्दे पर बार बार पूछे जाने पर कहा“ मेरे लिये कप्तानी नहीं टीम सबसे पहले है और हमारा लक्ष्य पदक जीतना है जिसके लिये हमें एक टीम के रूप में खेलना होगा। हमें सीनियर खिलाड़ियों और कोचों के साथ बैठकर बात करनी होगी कि ओलंपिक की अंतिम तैयारी में हमें क्या करना है।” इस बीच नये कप्तान बने श्रीजेश ने भी सरदार की बातों का समर्थन करते हुये कहा“ हमारे लिये टीम सर्वोपरि है और यही हमारा सबसे मजबूत पक्ष है। हम एक टीम के रूप में खेलेंगे तो जरूर जीतेगे। मेरा सिर्फ एक ही बात पर जोर रहेगा कि हमें इकाई के रूप में ओलंपिक में प्रदर्शन करना है।”

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