नयी दिल्ली,12 जुलाई, कोयला ब्लॉक अावंटन घोटाले की जांच प्रभावित करने के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के पूर्व निदेशक रंजीत सिन्हा घिरते नजर आ रहे हैं, क्योंकि उच्चतम न्यायालय की ओर से गठित जांच समिति को प्रथम-दृष्ट्या ऐसा प्रतीत होता है कि श्री सिन्हा ने जांच को प्रभावित करने की कोशिश की थी। समिति की ओर से न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर,न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ और न्यायमूर्ति ए के सिकरी की खंडपीठ के समक्ष सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट पेश की गई,जिसमें शक की सुई श्री सिन्हा की ओर घूमती नजर आ रही है। शीर्ष अदालत ने सीबीआई के पूर्व विशेष निदेशक एमएल शर्मा की अध्यक्षता में जांच समिति का गठन किया था, जिसने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।
सूत्रों के अनुसार,रिपोर्ट में कहा गया है कि श्री सिन्हा इस मामले में शामिल हैं और शक की सुई उनकी तरफ है। याचिकाकर्ता गैर-सरकारी संगठन कॉमन कॉज के वकील प्रशांत भूषण ने श्री सिन्हा के घर आने-जाने वालों से संबंधित डायरी दी थी और आरोप लगाया था कि श्री सिन्हा से उनके सरकारी आवास पर कई ऐसे लोग भी मिले, जो कोलगेट मामले में आरोपी थे। सूत्रों ने बताया कि जांच समिति ने माना है कि विजिटिंग डायरी असली है और काफी लोग श्री सिन्हा से घर पर मिले, जिनमें कई कोयला ब्लॉक आवंटन घोटाले के आरोपी थे। न्यायालय ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया है कि इस रिपोर्ट के आधार पर क्या कारवाई की जाए। इससे पहले एटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने दलील दी थी कि केवल समिति की रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की अनुमति नहीं दी जा सकती, लेकिन श्री भूषण ने इसका पुरजोर विरोध किया। उन्हाेंने कहा कि शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति ने मुकदमे के लिए कई साक्ष्य उपलब्ध कराये हैं। इसलिए यह जांच का विषय है कि क्या श्री सिन्हा को इसके लिए रकम भी मिली या नहीं।

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