देश की संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं मोदी : अशोक चौधरी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 24 नवंबर 2016

देश की संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर कर रहे हैं मोदी : अशोक चौधरी

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पटना 24 नवम्बर, नोटबंदी को लेकर कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर देश की संवैधानिक संस्थाओं को कमजोर करने का आरोप लगाया और कहा कि बिना किसी तैयारी के नोटबंदी के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का सहमत हो जाना उसके घटते हुए स्वायत्तता की निशानी है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष और राज्य के शिक्षा मंत्री अशोक चौधरी ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी आरबीआई जैसी देश की एक संवैधानिक संस्था को कमजोर कर रहे हैं। बिना पर्याप्त तैयारी के नोटबंदी के लिए सहमत होना भारतीय रिजर्व बैंक के घटते हुए स्वायत्तता की निशानी है। उन्होंने कहा कि पूरे प्रकरण में आरबीआई गवर्नर उर्जित पटेल की भूमिका संदेहास्पद है। इन वजहों से ऑल इंडिया बैंकिंग ऑफिसर कन्फ़ेडरेशन रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल से इस्तीफा की मांग की है। श्री चौधरी ने कहा कि नोटबंदी की वजह से उत्पन्न हुई अराजक स्थिति और काम के अत्याधिक दवाब के कारण देश में 11 से अधिक बैंक अधिकारियों की ड्यूटी के दौरान मौत हो गयी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री की संवेदनहीनता चरम पर पहुँच गयी है। नोटबंदी से देश में सामाजिक और आर्थिक अराजकता का खतरा मंडरा रहा है। देश की अर्थव्यवस्था प्रधानमंत्री का खिलौना नहीं कि वे इससे जैसे मन चाहे वैसे खेले। उन्होंने कहा कि पूरे मुद्दे पर जाँच और आगे का समाधान निकलने के लिए संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जाना चाहिए। 

प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा ही काला धन समाप्त करने के प्रयासों का समर्थन किया है, लेकिन कालाधन और आतंक धन पर सर्जिकल स्ट्राइक करने के नाम पर प्रधानमंत्री द्वारा किए जा रहे संवेदनहीन नाटक का पार्टी घोर विरोध करती है। उन्होंने नोटबंदी पर एप के माध्यम से कराये गये सर्वे की विश्वनीयता पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि अपने समर्थकों के बीच मोबाइल फोन पर फर्जी सर्वे करवा कर 99 प्रतिशत लोगों के समर्थन का ढिंढ़ोरा पीटवाना वास्तविक परेशानियों का हल नहीं है। श्री चौधरी ने कहा कि नोटबंदी के कारण देश में अबतक 98 से अधिक लोगों की जहां मौत हो चुकी है वहीं दूसरी तरफ करोड़ों लोगों के कतार में खड़े होने के कारण अरबों रूपये का बहुमूल्य समय बर्बाद हो चुका है। दिन भर की लंबी जद्दोजहद के बाद 2000 के जो नोट मिल भी रहे हैं उन्हें भुनाना मुश्किल हो रहा है। असुरक्षा की भावना से 100 और 50 के नोट भी लोग अपने पास बचा कर रखना चाहते हैं। अर्थव्यवस्था की तरलता समाप्त हो चुकी है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि किसानों के लिए फसल की बुवाई और फसल की बिक्री रूक चुकी है। निर्माण उद्योग में नकदी की कमी के कारण ठेकेदारों ने काम तत्काल बंद कर दिया है। मजदूर बेरोजगार हो रहे हैं और मजबूरीवश अपने प्रदेश लौट रहे हैं। नोटबंदी से पूरे देश में हाहाकार मचा है लेकिन सरकार बार-बार स्थिति में शीघ्र सुधार का झूठा दिलासा लोगों को दे रही है। श्री चौधरी ने कानपुर के समीप हुए रेल हादसे का जिक्र करते हुए का कि भयावह दुर्घटना में करीब 150 लोगों की जान चली गयी और 400 से अधिक घायल हुए लेकिन प्रधानमंत्री घटनास्थल पर जाकर लोगों को कुशल क्षेम पूछने की बजाए अपने चुनाव प्रचार में व्यस्त रहे। यह भी प्रधानमंत्रीजी के संवेदनहीनता का एक उदाहरण है। 

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