पटना 19 जनवरी, पटना उच्च न्यायालय ने बिहार सरकार के शराबबंदी और राज्य से संपूर्ण नशामुक्ति के लिए जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से 21 जनवरी को बनने वाले मानव श्रृंखला में स्कूली बच्चों को शामिल करने के साथ ही राष्ट्रीय राजमार्गों पर यातायात घंटों बाधित होने से आम लोगों खासकर बीमार लोगों को होने वाली दिक्कतों के बारे में स्पष्टीकरण देने के लिए कल राज्य के प्रधान सचिव और पुलिस महानिदेशक को तलब किया है। उच्च न्यायालय के कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की खंडपीठ ने प्रधान सचिव अंजनी कुमार और पुलिस महानिदेशक पी. के. ठाकुर को व्यक्तिगत रूप से खंडपीठ के समक्ष उपस्थित होकर मानव श्रृंखला में स्कूल बच्चों को शामिल करने के सरकार के आदेश के बारे में स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है। खंडपीठ ने 21 जनवरी को बिहार में राष्ट्रीय राजमार्गों पर पांच घंटे तक यातायात ठप करने के प्रधान सचिव के आदेश पर भी कड़ी आपत्ति जताई और कहा, “आपके निर्देश से मानव श्रृंखला निर्माण के दौरान यातायात बाधित होने से आमलोगों खासकर बीमार लोगों को काफी दिक्क्तें होंगी।” वहीं, राज्य सरकार की ओर से प्रधान अपर महाधिवक्ता ललित किशोर ने खंडपीठ को बताया कि मानव श्रृंखला में स्कूली बच्चों को शामिल किया जाना स्वैच्छिक है। इसे राज्य सरकार ने अनिवार्य नहीं किया है।
श्री किशोर ने खंडपीठ को दिये स्पष्टीकरण में कहा कि मानव श्रृंखला निर्माण के दौरान लोगों की सुरक्षा के लिए कई आवश्यक कदम उठाये गये हैं तथा निर्बाध यातायात के लिए कई योजना बनाई गई है। इसके तहत यातायात की समस्या के समाधान के लिए वैकल्पिक मार्ग उपलब्ध कराये जाएंगे। उन्होंने कहा कि 21 जनवरी को पेयजल टैंकर, न्यायाधीशों एवं मीडिया के वाहन तथा एम्बुलेंसों को नहीं रोका जाएगा। न्यायालय ने राज्य सरकार से मानव श्रृंखला निर्माण के दौरान मूलभूत सेवाओं की आपूर्ति की जगह मीडिया के वाहनों को निर्बाध आवागमन की अनुमति देने के निर्देश पर स्पष्टीकरण देने को कहा है। गैर सरकार संगठन फोरम फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन की ओर से न्यायालय में दायर याचिका में संलग्न अखबारों की कटिंग के हवाले से कहा गया है कि स्कूली बच्चों को चेतावनी दी गई है कि यदि वे मानव श्रृंखला निर्माण में शामिल नहीं होंगे तो उनका नामांकन रद्द कर दिया जाएगा। अखबार की कटिंग देखने के बाद खंडपीठ ने आश्चर्य व्यक्त करते हुये कहा कि जिला शिक्षा पदाधिकारी ऐसे निर्देश कैसे दे सकते हैं।
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