नये साल की तरह 01 जनवरी से शुरू हो वित्त वर्ष : सुशील - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 31 जनवरी 2017

नये साल की तरह 01 जनवरी से शुरू हो वित्त वर्ष : सुशील

पटना 31 जनवरी, बिहार के पूर्व वित्त मंत्री एवं भारतीय जनता पार्टी विधानमंडल दल के नेता सुशील कुमार मोदी ने केंद्र सरकार के नोटबंदी के साथ ही आर्थिक सुधार की दिशा में उठाये गये कदमों की सराहना करते हुये केंद्र से अगले नये वित्त वर्ष की शुरुआत 01 अप्रैल के स्थान पर 01 जनवरी से करने की मांग की। श्री मोदी ने आज यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर करके तंत्र में कालाधन और जाली नोटों के प्रसार को रोकने के लिए साहसिक कदम उठाया है। इसके अलावा आर्थिक सुधार के क्षेत्र में उठाये गये कदम जैसे आजादी के बाद पहली बार साम्राज्यवादी परिपाटी को बदलते हुये 01 फरवरी को बजट पेश करना, रेल बजट को केंद्रीय बजट में समाहित करना, योजना एवं गैर योजना व्यय के वर्गीकरण को समाप्त करने के साथ ही वित्त विधेयक को मई-जून के स्थान पर 31 मार्च से पहले पारित कराना सराहनीय है।  इस क्रम में सुधारों को गति देने के लिए मैं केंद्र सरकार से आग्रह करता हूं कि वह आगामी नये वित्त वर्ष को 01 अप्रैल की जगह 01 जनवरी से शुरू करने ही भी पहल करे।” भाजपा नेता ने कहा कि पहले फरवरी के अंत में बजट पेश किया जाता था, जो मई-जून में पारित होने के बाद लागू होता था। इससे सरकार विभागों को खर्च करने के लिए राशि मिलने में करीब चार महीने का विलंब होता था लेकिन प्रधानमंत्री की अगुवाई में ब्रिटिशकाल की इस प्रथा को बदलकर कल पहली बार बजट 01 फरवरी को पेश किया जाएगा और इसे 31 मार्च से पहले पारित करा लिया जाएगा। इस पहल से विभागों को व्यय के लिए 01 अप्रैल से राशि उपलब्ध हो जाएगी। इसी तरह आगामी नये वित्त वर्ष के 01 जनवरी से शुरू होने से राशि मिलने की अवधि में और कमी आएगी और विकास कार्य तेजी से हो सकेंगे। श्री मोदी ने कहा कि केंद्र ने 92 वर्षों से रेल बजट को अलग से पेश करने की परिपाटी को भी समाप्त कर दिया है। 01 फरवरी को पेश होने वाले केंद्रीय बजट में ही रेल बजट भी समाहित होगा। इससे रेलवे के विकास में तेजी जाएगी और अब रेलवे वित्त मंत्रालय को 10 हजार करोड़ रुपये लाभांश देने के लिए बाध्य नहीं होगा। रेल बजट के समाहित करने पर रेलवे की स्वायत्तता समाप्त होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि इससे रेलवे की स्वायत्तता समाप्त नहीं होगी और उसकी अलग पहचान भी बनी रहेगी। इसके अलावा रेलवे पहले की ही तरह अतिरिक्त बजटीय समर्थन प्राप्त करने के लिए स्वतंत्र रहेगा।




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