नयी दिल्ली 31 जनवरी, सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमणियन ने आज कहा कि नोटबंदी के दबाव और वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रमों के मद्देनजर वर्ष 2017-18 में आर्थिक विकास दर 6.75 फीसदी से 7.50 फीसदी के बीच रहने का अनुमान व्यक्त किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण के लेखक श्री सुब्रमणियन ने वित्त मंत्री अरुण जेटली के संसद में इसे पेश करने के बाद यहां संवाददाताओं से चर्चा में कहा कि नोटबंदी का असर अभी बना रहेगा। अगले एक दो महीने में नकदी की स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है और उसके बाद अार्थिक गतिविधियों में भी तेजी आयेगी लेकिन वैश्विक स्तर पर हो रहे घटनाक्रम का दबाव भी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि तेल की कीमतों में हो रही बढोतरी के साथ ही कुछ देशों के संरक्षणवादी नीतियों का भी असर हो सकता है लेकिन अमेरिकी अर्थव्यवस्था में सुधार की उम्मीद दिख रही है। उन्होंने कहा कि यदि वैश्विक विकास में एक फीसदी की बढोतरी होती है तो देश के निर्यात में तीन फीसदी की बढोतरी होती है। इसके लिए वैश्विक स्तर पर सुधार होने पर भारतीय अर्थव्यवस्था को भी लाभ होगा। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का लक्ष्य कालेधन पर हमला करना था। इसका असर अस्थायी है और इससे मकानों की कीमतों में गिरावट आएगी और मध्यम वर्ग को किफायती मकान मिलेंगे। उन्होंने कहा कि नोटबंदी का जीडीपी वृद्धि दर पर पड़ रहा प्रतिकूल असर अस्थायी रहेगा। मार्च 2017 के आखिर या अप्रैल 2017 तक बाजार में नकदी की आपूर्ति के सामान्य स्तर पर पहुंच जाने की संभावना है। इसके बाद अर्थव्यवस्था में फिर से सामान्य स्थिति बहाल हो जाएगी। नोटबंदी से डिजिटलीकरण में वृद्धि, अपेक्षाकृत ज्यादा कर अनुपालन और अचल संपत्ति की कीमतों में कमी शामिल हैं, जिससे कर राजस्व के संग्रह और जीडीपी दर दोनों में ही वृद्धि होने की संभावना है।
मंगलवार, 31 जनवरी 2017
नोटबंदी के साथ ही वैश्विक दबाव में आर्थिक अनुमान तय किया: सुब्रमणियन
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