प्रधानमंत्री संविधान का वो पद जो किसी देश के शासनाध्यक्ष होता है। उस पद कि एक अलग ही गरिमा होती है ।जब भक्त कोई नेता किसी संविधान के पद पर बैठे तो उसे पता होना चाहिये की वो पद की गरिमा क्या है? कल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा राज्यसभा में दिया गया भाषण बेहद ही दुर्भाग्यपूर्ण और गैर शालीन था । इस बयान के बाद भाजपा के अनेक नेता इसे अभिव्यक्ति से जोड़कर बताने में लगे है । लेकिन वो शायद यह भूल गये है कि नरेन्द्र मोदी एक आम आदमी नहीं एक संवेधानिक पद पर बैठा एक पीएम है ।जो एक राष्ट्र का नेतृत्व कर्ता होता है । जिसका बयान राष्ट्र का बयान माना जाता है । प्रधानमंत्री के पिए को यह बात याद दिलाते रहना चाहिये की साहब आप भाजपा के नेता नहीं राष्ट्र के नेता है । और आपका बयान राष्ट्र को नीचे दिखलाने का काम कर सकता है। जहाँ तक प्रधानमंत्री कि बात है तो सन् 1985-86 कि बात है देश के प्रधानमंत्री राजीव गांधी थे। उनके श्रीलंका दौरे के दौरान वहां के चरमपंथी संगठन लिट्टे के द्वारा प्रधानमंत्री राजीव गांधी पर हमला कर दिया गया। जब राजीव गांधी वापस देश लौटें तो तात्कालिन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह प्रोटोकाॅल तोड़ कर उनको लेने दिल्ली एयरपोर्ट गये । जब पत्रकारों ने उनसे इस बाबत् सवाल किया तो ज्ञानी जैल सिंह जी के जवाब थे कि मैं किसी राजीव को लेने यहाँ नहीं आया हूँ बल्कि 70 करोड़ लोगों के नेता को लेने आया हूँ । यही बात प्रधानमंत्री को आत्मज्ञान कर लेना चाहिये....और साथ उनके पीए को हमेशा यह याद दिलाते रहना चाहिये कि साहब आप देश के नेता है, देश के पीएम है ना कि स्टार प्रचारक..!!
(अविनीश मिश्रा)
लेखक माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय में अध्ययनरत है।

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