बिहार : बालूपर मुसहरी में अधूरा शौचालय निर्माणकर ठेकेदार फरार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 27 फ़रवरी 2017

बिहार : बालूपर मुसहरी में अधूरा शौचालय निर्माणकर ठेकेदार फरार

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पटना। पटना सदर प्रखंड में पूर्वी दीघा ग्राम पंचायत। इस पंचायत में है बालूपर मुसहरी। महादलित मुसहर 4 पुश्त से झोपड़ी में ही रहते थे। प्रलयकारी बाढ़ 1975 में आने के बाद तबाह हो गये। फिर भी कांग्रेसी और जनता दल की सरकार ने झोपड़ी को हटाकर मकान बनाने का प्रयास नहीं किया। सन् 74 की लड़ाई लड़ने वाले और लोकनायक जयप्रकाश नारायण के सिपाही 1990 में बिहार के सीएम लालू प्रसाद यादव बने। उनके ही शासनकाल में बालूपर मुसहरी में 16 मकान बने। सरकार के नौकरशाहों ने बालूपर मुसहरी का नामकरण कर लालू नगर रखा। तब से लालू नगर से विख्यात है। यहां के लोग बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। बहुत सोच समझकर अंजलि देवी कहती हैं कि इस मुसहरी में सरकारी नौकर आते ही नहीं है। अगर आ भी गये तो लूटकर चले जाते हैं। अभी 16 परिवार के लोगों के लिए 16 शौचालय निर्माण कराया जा रहा है। ठेकेदार अधूरा निर्माण करके नौ दो ग्यारह हो गया है। शौचक्रिया करने मेें परेशानी हो रही है। झोपड़ी नसीब 16 परिवारों का बना जानलेवा मकानः विक्रम मांझी, बिहारी मांझी, दिलीप मांझी, शंकर मांझी, पेरू मांझी, रामदेव मांझी, कृष्णा मांझी, विनोद मांझी, दारा मांझी, पप्पू मांझी, डोढ़ा मांझी, चनेश्वर मांझी, टुनटुन मांझी,लक्ष्मण मांझी,छोटे मांझी और बिहारी मांझी का मकान जर्जर होने लगा है। बरसात के समय छूता है। अब छत का प्लास्टर गिरता है। प्लास्टर गिरने का आलम है कि घर की चौकी टूट जाती है। खुदा को धन्यवाद की किसी को चोट नहीं लगी। 10 फीट चौड़ा और 10 फीट लम्बा घर में दो-दो परिवार रहने को बाध्य हैं। एक परिवार घर के अंदर तो दूसरा बरामदा में रहने को बाध्य हैं। सभी मालिकाना भूमि पर रहते हैं। मालिक का नाम स्व0 लखपत यादव है। निर्गत जमीन का पर्चा 1975 की बाढ़ से बर्बाद हो गयी। कुछ लोगों ने बांसकोठी के कलूठ चौधरी और बालूपर के केदार पासवान के पास पर्चा रखें। जो पर्चा ही पचा लिये।


125 साल और 100 जनसंख्या में 1 मैट्रिक उर्त्तीण हैं धर्मेंद्रः खेतीहर भूमिहीन हैं महादलित मुसहर। मजदूरी करते हैं। बच्चे और महिलाएं कागज चुनने जाती हैं। धर्मेंद्र मांझी की मां रद्दी कागज चुनकर और बेचकर धर्मेंद्र मांझी को मैट्रिक पास करवाने में कामयाब हो गयीं। मां तुझे सलाम! मुसहरी के बगल में ही आंगनबाड़ी केन्द्र है। बच्चे कटौरी लेकर खाना लाने जाते हैं। महिलाओं का आरोप सेविका पर है कि मासिक अनाज में कटौती कर राशन देती हैं। तयशुदा टेक होम राशन में चावल 2 किलोग्राम और दाल 1 किलोग्राम देना है। मगर चावल डेढ़ किलोग्राम और दाल 500 किलोग्राम मिलता है। खैर, आधी रोटी खाएंगे और फिर भी स्कूल जाएंगे की तर्ज पर पूजा कुमारी (6 क्लास), रोशन कुमार(5क्लास), काजल कुमारी (4क्लास), पूनम कुमारी (4 क्लास), आरती कुमारी (1 क्लास), चंदा कुमारी (1 क्लास) और आकाश (1 क्लास) में अध्ययनरत हैं। श्रीचन्द्र मध्य विघालय में जाते हैं। आर्थिक तंगी के कारण कृष्णा मांझी 7 क्लास पढ़कर बस्ता टांग दिया।

बुनियादी समस्याओं को दूर करें कल्याणकारी सरकारः महादलित चनेश्वर मांझी का कहना है कि रोटी,कपड़ा और मकान की जरूरत है। यहां पर सीएम नीतीश कुमार के 7 निश्चय को लागू करने की आवश्यकता है। वर्तमान में 1 मात्र चापाकल है जो पानी के साथ लाल बालू उघेलता है। 16 जर्जर मकान को ध्वस्त करके मकान बनाने और 16 अधूरा शौचालय निर्माणाधीन है उसे जल्द से जल्द पूरा बनाने की जरूरत है। बरती देवी, टुन्नी देवी और रेशमी देवी मुस्मात हैं। इनको लक्ष्मीबाई सामाजिक सुरक्षा पेंशन से लाभान्वित करवाने की आवश्यकता है। भुन्ना देवी और पार्वती देवी दिव्यांग हैं। इनको निःशक्ता सामाजिक सुरक्षा पेंशन देने की प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए। जन वितरण प्रणाली के अन्तर्गत उचित मूल्य की दुकान प्रो0 राजकुमार चलाते हैं। वार्ड नम्बर- 1 एफए है। नियमित राशन नहीं देते हैं। महादलितों का कुपन मुखिया जी के पास है। निर्धारित समय पर कुपन देने के लिए बुलाते हैं और उस समय जाने पर फिर अन्य समय निर्धारित कर देते हैं। इससे महादलित परेशान और हलकान हैं। वहीं शंकर मांझी की पत्नी कारी देवी कहती हैं कि उनको गरीबी रेखा वाले कार्ड ही नहीं बना है। इनको राशन मिलता ही नहीं है। एलपीजी देने के लिए सर्वे नहीं किया गया है। महिलाएं धूंआ में ही खाना पकाने को मजबूर हैं। 

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