गोविंदाचार्य के मार्गदर्शन में हुई भारत गौरव अभियान की शुरूआत - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 22 अप्रैल 2017

गोविंदाचार्य के मार्गदर्शन में हुई भारत गौरव अभियान की शुरूआत

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नयी दिल्ली। प्रकृति केंद्रित विकास एवं व्यवस्था परिवर्तन के पुरोधा श्री के. एन. गोविंदाचार्य के 75 वर्ष में प्रवेश करने के अवसर पर सनातन किष्किंधा मिशन द्वारा भारत गौरव अभियान की शुरूआत की गयी। इसके तहत अगले एक वर्ष में समाज और जीवन के विविध क्षेत्रों में रचनात्मक कार्य में संलग्न 11,000 लोगों का एक भारत गौरव कोश तैयार किया जाएगा। राजधानी के खचाखच भरे मावलंकर हॉल में सनातन किष्कंधा मिशन के अध्यक्ष व राज्य सभा सांसद बसवराज पाटिल ने भारत गौरव अभियान की रूपरेखा प्रस्तुत करते हुए कहा कि समाज में रचनात्मक कार्य कर रहे लोगों को अपनी शक्तियों का अहसास नहीं होता। यहां तक कि पवन पुत्र हनुमान को भी उनकी शक्तियों का अहसास कराना पड़ा। इस संदर्भ में रामचरित मानस में एक चैपाई आती है। जामवंत कहते हैं, श्श्पवन तनय बल पवन समान, का चुप साधि रहा बलवानाश्श्। इतना सुनते ही हनुमान जी को अपनी शक्ति का अहसास हो जाता है, और वे रामकाज के लिए तत्पर हो जाते हैं। अगर देश के संदर्भ में बात करें तो अनंत संभावना वालों यह महान देश है। लोग देश के अलगकृअलग हिस्सों में अपनेकृअपने स्तर पर देश में सकारात्मक बदलाव के लिए काम कर रहे हैं। इन प्रभावी शख्सियतों और उनके काम से देश भर के लोगों को परिचित कराने के लिए यह अभियान शुरू किया जा रहा है। देश के अलगकृअलग हिस्सों में स्थानीय स्तर पर काम कर रहे समाज के नायकों को बृहतर समाज के सामने लाना ही इस अभियान का उद्देश्य है। हमें भरोसा है कि माननीय गोविंदाचार्य जी की प्रेरणा से शुरू हुआ भारत गौरव अभियान देश की सज्जन शक्तियों को एकजुट कर उनके सहयोग से भारत को विश्व गौरव बनाने की दिशा में सकारात्मक प्रयास करेगा।


कार्यक्रम में गीता आश्रम वृंदावन के मुख्य महंत स्वामी अवशेषानंद जी महाराज ने कहा कि  गोविंदाचार्य को उनके बल की ​स्मृति कराने के लिए ही यह भारत गौरव अभियान शुरू किया गया है। उन्होंने कहा कि अंतिम व्यक्ति के पास कैसे पहुंचा जाए इसकी चिंता करने वाला ही अंतिम व्यक्ति का उत्थान कर सकता है। गोंविदाचार्य इस कार्य के लिए ज्यादा अनुकूल हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कलाकेंद्र के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार रामबहादुर राय ने कहा कि इस आयोजन का राष्ट्रीय महत्व है और इस आयोजन में लोग दूरकृदूर से आए हैं। भारत गौरव अभियान को रचनात्मक काम के साथ ही संघर्ष के काम को भी हाथ में लेना चाहिए। रामबहादुर राय ने कहा कि बिहार में न्याय पंचायतें अच्छा काम कर रही हैं। उत्तर प्रदेश में न्याय पंचायतें सही तरीके से काम करें, इस काम को इस अभियान के जरिए आगे बढ़ाया जाना चाहिए। बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राज्य सभा सांसद आर. के. सिन्हा ने कहा कि गोविंदाचार्य ऐसी शख्सियत हैं जिनकी अपनी कभी कामना नहीं होती, हालांकि वो इस देश में जो कुछ प्राप्त करने की इच्छा करते वो उन्हें प्राप्य होता। लेकिन उनमें एक कमी है कि वो किसी भी काम को एकलव्य दृष्टि से नहीं करते। भारत गौरव अभियान ने जो काम अपने हाथ में लिया है यदि ये ग्रंथ तैयार होता है तो देश, समाज के लिए बड़ा काम होगा। इस काम में हमारा पूरा सहयोग होगा।


राज्य सभा सांसद और जाने-माने संपादक हरिवंश ने कहा कि  गोविंदाचार्य भारतीय राजनीति के उस कार्यकर्ता की याद दिलाते हैं जो चुपचाप काम करता है, सामान्य व्यक्ति की तरह रहने और जीने की ताकत ही उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है। ऐसे लोग अंधेरे में रोशनी दिखाते हैं। जो सोचते हैं वही कहते हैं और जो उचित समझते हैं हर हाल में कहते हैं। उन्होंने कहा कि आज भी जब दूरस्थ आदिवासी इलाके में जाते हैं तो वहां लोग यह कहते हुए मिल जाएंगे कि हम तो गोविंदाचार्य जी के कारण यहां हैं। यानि भाजपा के जनाधार को दूरस्थ इलाकों तक ले जाने में, सो​शल इंजीनियरिंग को जमीन पर उतारने में गोंविदाचार्य जी का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा कि गोविंदाचार्य और रामबहादुर राय इस देश के दो महत्वपूर्ण आंदोलन से जुड़े रहे हैं। इन्हें भाजपा के सक्रिय राजनीति में वापस आना चाहिए। स्वामी ने कहा कि इस अभियान के जरिए व्यक्ति निर्माण का काम होना चाहिए। यदि व्यक्ति निर्माण का काम सही तरीके से हो तो देश आगे बढ़ सकता है। ..भारतीय इतिहास, दर्शन एवं संस्कृति की मर्मज्ञ सुश्री कुसुमलता केडिया ने भी अपने विचार रखे। प्रकृति केंद्रित विकास एवं व्यवस्था परिवर्तन के पुरोधा के. एन. गोविंदाचार्य ने अपने उद्बोधन में कहा कि राजनीति और अर्थनीति को धर्म सत्ता के अनुकूल होना होगा। स्वावलंबन ही शक्ति का आधार है। स्वावलंबन व संपूर्णता चाहे आर्थिक दृष्टि से हो या सैन्य शक्ति से इसके लिए आत्मबल जरूरी है। समृद्धि और संस्कृति में संतुलन का होना जरूरी है। उन्होंने कहा कि वे आगामी एक साल तक मोतिहारी में काम करना चाहते हैं। आगामी 20 मई को मोतिहारी पहुंचेंगे और 10 दिनों तक वहीं रहेंगे। इस कार्यक्रम में देश के अलग-अलग हिस्सों से आये अनेक सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व जमीनी स्तर पर व्यवस्था परिवर्तन के वाहक बन रहे गणमान्य अतिथियों ने शिरकत की।

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