इस्लाम में नहीं तीन तलाक की अवधारणा : सलमा अंसारी - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।


रविवार, 9 अप्रैल 2017

इस्लाम में नहीं तीन तलाक की अवधारणा : सलमा अंसारी

concept-three-divorce-not-in-islam-salma-ansariनयी दिल्ली 09 अप्रैल, धर्म के नाम पर दकियानूसी सोच को बढ़ावा देने का मुखर विरोध करने से तीन बार फतवे के रूप में कट्टर माैलवियों की नाराजगी झेल चुकीं उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी की पत्नी सलमा अंसारी ने पिछले कुछ समय से सुर्खियों में बने तीन तलाक के पूरे मामले को कोरी बकवास करार देते हुए कहा है कि कुरान में ऐसी कोई अवधारणा ही नहीं है। श्रीमती अंसारी ने यूनीवार्ता के साथ खास बातचीत में कहा कि इस्लाम में तीन तलाक जैसी कोई बात ही नहीं है। कुरान के अनुसार पति को एक बार तलाक कहने पर तीन महीने तक इंतजार करना होता है और तलाक भी तभी मान्य होता है, जब तीन गवाह उस वक्त वहां मौजूद हों। उन्हाेंने कहा कि तीन तलाक की अवधारणा पाकिस्तान और बंगलादेश जैसे देशों से भारत में आयी है। सऊदी अरब में ऐसा नहीं होता। वहां निकाह एक करार की तरह होता है। पाकिस्तान आैर बंगलादेश में तो यह प्रतिबंधित हो गया लेकिन यहां कट्टर मुल्ला तथा मौलवियों ने अपने-अपने तरीके से कुरान की व्याख्या करके इसे महिला विरोधी जामा पहना दिया है। इसके साथ ही पुरुषवादी मानसिकता भी तीन तलाक को पोषण देती है। आम धारणाओं के विपरीत कुरान में तलाक को इस कदर मुश्किल बनाने की कोशिश की गयी है कि यह क्षणिक आवेश में लिया गया फैसला नहीं हो सकता है। श्रीमती अंसारी ने कहा कि आजकल अखबार में विज्ञापन के जरिये या सोशल मीडिया के जरिये तलाक देने का चलन जोर पर है लेकिन यह चलन महिलाओं की अज्ञानता के कारण प्रचलित हो रहा है। उनके मुताबिक कुरान अरबी भाषा में पढ़ी जा रही है । आम लोग उसका अनुवाद नहीं पढ़ रहे जिसका लाभ उठाकर मौलवी अपने तरीके से कुरान की व्याख्या कर रहे हैं और उन्हें गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि अगर महिलायें खुद ही कुरान पढ़ने लगेंगी तो उन्हें खुद ब खुद पता चल जायेगा कि कुरान में तीन तलाक जैसी कोई बात ही नहीं है बल्कि यह तो उन्हें रास्ता दिखाता है। श्रीमती अंसारी ने कहा,“ कुरान पढ़िये, हदीस पढ़िये और खुद जानिये कि रसूल(ईश दूत) ने क्या कहा। मेरा मानना है कि महिलाओं को खुद कुरान पढ़कर उस पर विचार करना चाहिए ताकि उन्हें पता चले कि रसूल ने क्या-क्या कहा है और शरीयत क्या कहता है।”

कोई टिप्पणी नहीं: