नयी दिल्ली, 21 अप्रैल, धरती के पर्यावरण को बचाने के लिए पूरी दुनिया में पिछले 47 सालों से पृथ्वी दिवस मनाया जा रहा है लेकिन प्रदूषण घटने की बजाए बढ़ता ही जा रहा है और जलवायु परिवर्तन के खतरे से यह संकट और गहरा होता जा रहा है। अंतरराष्ट्रीय भूगोल संघ के उपाध्यक्ष प्रोफ आर बी सिंह ने पृथ्वी दिवस की पूर्व संध्या पर यूनीवार्ता से बातचीत में यह टिप्पणी की। दिल्ली विश्वविद्यालय में भूगोल विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर सिंह ने कहा कि अमेरिका के सीनेटर गेलोर्ड नेल्सन के प्रयासों से 1970 में पहली बार पूरी दुनिया में पृथ्वी दिवस मनाया गया और तब से लेकर आज तक पिछले 47 सालों से विश्व हर साल पृथ्वी दिवस मनाता है। प्रोफेसर सिंह ने कहा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए भारत समेत कई देशों में कानून भी बनाये गए लेकिन प्रदूषण पर काबू नहीं पाया जा सका जिससे पर्यावरण का संतुलन बिगड़ गया है। आज विश्व का औसत तामपान भी 1.5 डिग्री बढ़ गया है। देश की राजधानी दिल्ली में अप्रैल में तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से अधिक बढ़ गया है। उन्होंने बताया कि औद्योगिक उत्पादन के बढ़ने और अंधाधुंध विकास कार्यों और पेट्रोल, डीजल तथा गैसों के अधिक इस्तेमाल से भारत काॅर्बन उत्सर्जन के मामले में विश्व में चौथे स्थान पर पहुंच गया है और हिमालय के ग्लेशियर भी पिघलने लगे हैं इससे भयंकर बाढ़ और प्राकृतिक आपदा की घटनाएं भी बढ़ने लगी हैं। काॅर्बन उत्सर्जन के मामले में अमेरिका और चीन पहले तथा दूसरे स्थान पर हैं।अगर यही रफ़्तार रही तो जिस तरह आबादी और वाहनों की संख्या बढ़ रही है ,भारत काॅर्बन उत्सर्जन के मामले में और आगे न बढ़ जाये। इसलिए नीति निर्धारकों के साथ -साथ हर नागरिक को सचेत होने की जरुरत है क्योंकि पर्यावरण असंतुलन से जलवायु परिवर्तन तो हो ही रहा है कृषि उत्पादन और स्वास्थ्य भी प्रभावित हो रहा है।
शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

पिछले 47 वर्षोंं से मनाया जा रहा है पृथ्वी दिवस
Tags
# देश
# विदेश
Share This
About आर्यावर्त डेस्क
विदेश
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Author Details
सम्पादकीय डेस्क --- खबर के लिये ईमेल -- editor@liveaaryaavart.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें