लखनऊ, 15 अप्रैल, ऑल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में आज देश में शरई कानूनों में किसी भी तरह की दखलंदाजी को सहन नहीं करने का दावा किया गया कि हिन्दुस्तान के ज्यादातर मुसलमान मुस्लिम पर्सनल लॉ में किसी भी तरह का बदलाव नहीं चाहते। बोर्ड के महासचिव मौलाना वली रहमानी ने देर शाम शुरू हुई कार्यकारिणी की महत्वपूर्ण बैठक में कहा कि देश में पर्सनल लॉ पर कुछ इस तरह चर्चा होने लगी है कि उनकी अहमियत और उपयोगिता पर सवाल खड़े किये जाने लगंे। साथ ही शरीअत के बारे में कोई जानकारी ना रखने वाले लोगों ने इस पर उंगली उठाना शुरू कर दिया है। ऐसे हालात में शरीअत का सही रूप देश के सामने रखने के लिए बोर्ड की जिम्मेदारी और बढ़ गयी है। मौलाना ने कहा कि मुल्क में मुस्लिम पर्सनल लॉ को लेकर बोर्ड द्वारा हाल में चलाये गये हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से मुसलमानों ने एक बार फिर यह बता दिया कि हिन्दुस्तान का संविधान इस देश के तमाम नागरिकों को अपने धार्मिक मामलों पर अमल करने की आजादी देता है और मुसलमान मर्द और औरतें शरई कानूनों में कोई भी बदलाव या हस्तक्षेप नहीं चाहते। बोर्ड ने फिर से एक बार इस बात को साफ किया कि धार्मिक आजादी हमारा संवैधानिक अधिकार है और शरई मामलों में सरकार का हस्तक्षेप बिलकुल बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पर्सनल लॉ पर अमल करने की राह में कोई रुकावट ना पैदा की जाए। बैठक की अध्यक्षता बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना मुहम्मद राबे हसनी नदवी ने की। इस दो दिवसीय बैठक का कल अंतिम दिन है।
शनिवार, 15 अप्रैल 2017

शरई कानूनों में कोई बदलाव नहीं चाहते भारत के मुसलमान : बोर्ड
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