प्रद्योत कुमार,बेगुसराय। अपने देश में राजनीतिक विरोध के कई तरीक़े हैं ख़ास कर के अपनी मांग को लेकर या जनविरोधी काम के ख़िलाफ़ एक चट्टानी आवाज़ को बुलंद करने का एक मजबूत और कारगर माध्यम है अपने प्रिये राजनेताओं का पुतला दहन।पुतला दहन का एक विशेष परिपाटी है कि लोग विरोध की भाषा में अपने राष्ट्रीय नेता का पुतला दहन करते आये हैं।विरोध जताने का एक बहुत ही सशक्त सांकेतिक माध्यम है पुतला दहन लेकिन ये कितना कारगर है ये एक सवाल खड़ा अवश्य करता है।लोकतांत्रिक प्रणाली में आपके विधानसभा या लोकसभा का जनप्रतिनिधि जिसे आप चुन कर भेजते हैं वही आपकी आवाज़ बनकर,आपकी समस्या रूपी आवाज़ को सरकार तक पहुंचाने का कार्य करते हैं,इसीलिए पुतला दहन का जो पुराना तरीका है वो बहुत ज़्यादा असरकारक नहीं है,बजाय इसके विरोध की भाषा बोलते हुए आम जनमानस को अपने जनप्रतिनिधि का ही पुतला दहन उसके लोकसभा या विधान सभा क्षेत्र के प्रत्येक ज़िला,प्रखंड और पंचायत स्तर पर करना चाहिए ताकि उस नेता की छवि ख़राब होने लगे जो लोग नहीं करते हैं।ऐसा अक्सर करने के बाद आपका जनप्रतिनिधि स्वयं आपकी समस्या का संदेशवाहक होने लगेगा,ये एक आविष्कारक और कारगर तरीका होगा पुतला दहन का।अपनी छवि या राजनीतिक भविष्य को बचाने के लिए वो आपके हित और आपके हक़ के लिए कार्य करने लगेंगे।इस प्रयोगात्मक पुतला दहन की शुरुआत होनी चाहिये।
बुधवार, 12 अप्रैल 2017
बेगुसराय : राजनेताओं के पुतला दहन में आविष्कारक परिवर्तन ज़रूरी
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