रूनकी गोस्वामी ने संगीत निर्देशक और गायिका के तौर पर बनाई पहचान - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 24 अप्रैल 2017

रूनकी गोस्वामी ने संगीत निर्देशक और गायिका के तौर पर बनाई पहचान

  • गुरुग्राम निवासी रूनकी ने दक्षिण भारत में साबित की अपनी संगीत प्रतिभा

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दक्षिण भारत की फिल्मी दुनिया में अपनी एक अलग पहचान बनाने वाली रूनकी द्वारा संगीतबद्ध गीतों और गले का जादू दक्षिण में सिर चढ़ कर बोल रहा है। वैसे भी हुनर की कोई सीमा नहीं होती है और इस बात को रूनकी गोस्वामी ने एक बार फिर से साबित कर दिखाया है। दक्षिण भारत के सिनेमा में संगीत निर्देशक और गायिका के तौर पर योगदान दे रही रूनकी, संगीतकारों के परिवार से संबंधित है और संगीत उसकी रग रग में दौड़ता है। सिर्फ 3 साल की उम्र में ही उसने अपनी संगीत प्रतिभा दिखा दी थी और अब उसे साबित भी कर दिया है। रूनकी, बचपन से ही शास्त्रीय संगीत को सीखना शुरू कर चुकी थी और अब भी नियमित रियाज करती है। छह साल की उम्र में तो रूनकी ने मंच से अपनी आवाज का जादू बिखेरना शुरू कर दिया था। एक के बाद एक मंच पर प्रस्तुतियों के बाद रूनकी ने विभिन्न प्रतियोगिताओं में अपने स्कूल का प्रतिनिधित्व किया और कई खिताब जीते। उसके बाद ऑल इंडिया रेडियो पर रिकॉर्डिंग की और कई प्राइवेट शो भी किए। मूल तौर से बंगाली, रांची में पली बढ़ी और गुरुग्राम में कार्यरत रूनकी ने 2013 में फिल्मों में शुरुआत की और उन्हें हैदराबाद में तेलगू फिल्म लेखक थेडावास्ते द्वारा संगीत निर्देशक के तौर पर काम दिया। रूनकी के संगीत ने सभी का ध्यान खींचा और उसके संगीत की मिठास सभी को भाई और उसके बाद एक के बाद एक फिल्मों में काम मिला। रूनकी ने कई तेलगू फिल्मों को साइन किया जिनमें तिरूविक्रमन भी शामिल है। उसकी सुपर हिट कम्पोजीशन में तीन मार बेताल्लुकी भी शामिल है जो कि तेलंगाना के ग्रामीण क्षेत्रों में बेहद पसंद किया जा रहा है। फिल्मों के अलावा रूनकी ने एक बंगाली भक्ति संगीत एल्बम देबोबीना और दो अन्य हिंदी एलबम मनमर्जीयां और ओढ़ी चुनर धानी को भी श्रोताओं ने काफी पसंद किया है। 


आईएसबी हैदराबाद से एग्जीक्यूटिव मैनेजमेंट और मास्टर्स इन कम्युनिकेशन एंड जर्नलिज्म रूनकी में प्रतिभा, आत्मविश्वास, आत्मअनुशासन और समर्पण कूट कूट कर भरा है। रूनकी संगीत के प्रति समर्पित है और वे एक एमएनसी में वरिष्ठ पद पर कार्यरत हैं लेकिन इस कला के प्रति भी अपने जुनून और प्यार को बनाए रखी हुई हैं। इस समय गुडगांव में रह रही रूनकी ने इंडिया हैबीटेट सेंटर और एपिकसेंटर में भी लाइव प्रस्तुति दी तो दर्शकों ने बार-बार उनसे और गाने की फरमाइश की। खास बातचीत में रूनकी ने बताया कि वे श्रोताओं को अपनी नई संगीत प्रस्तुतियों से रूबरू करवाएंगी। उनका मानना है कि संगीत एकमात्र ऐसा माध्यम है, जिससे वह समाज की बेहतरी के लिए अपना योगदान दे सकती है और इसीलिए वह अपनी सभी बिना टिकट के शोज में गाती है और अपनी प्रस्तुति के लिए भी कोई पैसा नहीं लेती है। रूनकी, उन युवा प्रतिभाओं के लिए एक प्रेरक उदाहरण हैं जो कि कॉर्पोरेट वल्र्ड के लिए अपनी प्रतिभा को भुला देते हैं। वे समय का उचित प्रबंधन करते हुए अपने प्रबंधन कौशल के साथ ही अपने पसंदीदा संगीत की दुनिया में भी उतना ही बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं।

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