मोतिहारी 13 अप्रैल, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्री और प्रसिद्ध समाजसेवी तारा गांधी ने स्वच्छता के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि स्वच्छता के बिना सत्य नहीं और सत्य के बिना स्वच्छता नहीं। सुश्री गांधी ने स्थानीय जिला स्कूल के मैदान में आयोजित महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह शताब्दी समारोह एवं स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि गांधी जी देश और विदेशों में आज भी प्रासंगिक हैं लेकिन सबसे ज्यादा वे चम्पारण के हैं, जहां से उन्हें इतनी बड़ी उंचाई मिली। चम्पारण के वे लोग धन्य हैं जिन्होंने गांधी की राह पर चलकर अंग्रेजों के भय से मुक्त हुये। गांधीजी की पौत्री ने कहा कि ज्ञान का एक झाड़ू चाहिए जिससे मन, भाषा, चिन्तन को स्वच्छ रखा जा सके। गांधीजी की जीवनशैली साधारण थी जो उन्हे असाधारण बनाती थी। किसान की लंगोटी उनका पहनावा था तथा जीवन भर उनकी जीवनशैली साधारण ही रही। उन्होंने लोगों से खासकर महिलाओं से अपील की कि बच्चों को यातना नहीं दे बल्कि उन्हे बेहतर स्मृति ज्ञान दें ताकि उसमें कभी नकारात्मक भाव जागृत नहीं हो सके। नकारात्मक विचार हमें हिंसात्मक बनाते हैं। नकारात्मकता को समाप्त कर ही हम गांधी को जान और समझ सकते हैं। सुश्री गांधी ने कहा, “इस मौके पर कस्तूरबा को याद नहीं करना बेमानी होगी। कस्तूरबा चम्पारण आकर गांधी के आन्दोलन का हिस्सा बनीं और रसोई का काम भी बखूबी संभाला। उन्होंने स्कूलों में बच्चों के स्वास्थ्य और स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाया। मेरे पिता ने यहां गांधीजी के साथ रहकर स्कूलों में पढ़ाया और आन्दोलन का हिस्सा बने। मुझे उन सब पर गर्व है। मैं चम्पारण की इस धरती को प्रणाम करती हूं। ”
गुरुवार, 13 अप्रैल 2017

स्वच्छता के बिना सत्य नहीं और सत्य के बिना स्वच्छता नहीं : तारा गांधी
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