बिहार : मधेपुरा में ‘विश्‍वासघात सभा’ 3 मई को . - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शनिवार, 29 अप्रैल 2017

बिहार : मधेपुरा में ‘विश्‍वासघात सभा’ 3 मई को .

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पटना। बिहार के आम-अवाम का हक मांगने और बेनामी संपत्ति के खिलाफ आवाज उठाने के जुर्म में सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव को जेल भेजा गया। इसको लेकर कोई बात नहीं,बिहार के उत्थान और विकास के लिए सैकड़ों  बार जेल जायेंगे। अन्याय के खिलाफ लड़ना है और लड़ेंगे। इसके आलोक में माननीय कोर्ट के आदेश पर जेल से बाहर आते ही फिर से माननीय सांसद पप्पू यादव ने बिहार की आवाज उठाने लगें है।  बिहार समेत कोसी-सीमांचल-मिथिलांचल की बातें करने लगें है। आगामी 3 मई को मधेपुरा के रास बिहारी हाई स्‍कूल के ग्राउंड में ‘विश्‍वासघात सभा’ होगी। इस सभा में शेर गर्जना कर सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव बिहार की पीड़ा बतायेंगे। और तो और कोसी-सीमांचल-मिथिलांचल का जवाब मांगेंगे। साथ ही लाखों लोगों का सवाल है कि पिछले 27 वर्षों में (लालू-नीतीश का शासनकाल) कोसी-सीमांचल-मिथिलांचल को मिला क्‍या ? सांसद पप्पू यादव ने तो सब कुछ छपरा-नालंदा की सत्‍ता के लिए समर्पित कर दिया था, पर इन सबों ने तो कोसी-सीमांचल-मिथिलांचल को ठग ही लिया। कोई ऐसा संगा नहीं जिसको इनलोगों ने ठगा नहीं। ऐसी उपेक्षा हमारे इलाके की भी हुई है भूखमरी-भीखमंगी-बेकारी-बेबसी के सिवाय कुछ बचा ही नहीं। सूबे से पलायन का प्रतिशत बढ़ता ही गया है। एक पैसे का निवेश नहीं आया। तो फिर,सवाल उठता है कि इस विश्‍वासघात को कितने दिनों तक सहे? कोसी-सीमांचल-मिथिला के लोग। अब नहीं सहिए,जग उठिए।  हक छीनने को आगे बढ़िए। सांसद पप्पू यादव  आपके साथ हैं,चाहे सरकार सांसद पप्पू यादव जी को जितनी बार जेल भेज दे।


सांसद पप्पू यादव आप सबों को 3 मई को मधेपुरा में जुटने और विश्‍वासघात के खिलाफ शंखनाद करने को आने का न्‍योता भेज रहे हैं। आपको आना ही होगा। वरना कोसी-सीमांचल-मिथिलांचल के लोग आगे भी विकास की मुख्‍यधारा से काटे जाते रहेंगे। ऐसा अब नहीं होने देना है। जो हक नालंदा-छपरा ने लिया,उसे आज न कल कोसी-सीमांचल-मिथिलांचल के वास्‍ते प्राप्‍त करना ही होगा। बिहार के लोगों से भी माननीय सांसद पप्पू यादव की अपील है। 70 सालों पर विचार करने की जरुरत है ।बुनियादी सुविधाएं भी क्‍यों नहीं मयस्‍सर हुई। हालात और क्‍यों खराब होते गये। सरकारी स्‍कूलों का वजूद शिक्षा देने के मामले में क्‍यों मिट गया। अस्‍पतालों की दुर्दशा क्‍यों हो गई । कर्मियों को समय पर वेतनादि मिलना बंद है। 

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