बिहार : राजकीय आदेश का मुंह चिढ़ाता "आंगनबाड़ी" बेगूसराय - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 2 मई 2017

बिहार : राजकीय आदेश का मुंह चिढ़ाता "आंगनबाड़ी" बेगूसराय

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प्रद्योत कुमार,बेगूसराय। नगर निगम के वार्ड संख्या 28 लोहिया नगर बेगुसराय के आंगनबाड़ी केंद्र में अफरातफरी तब मच गया जब लाभार्थी को देने के लिए चावल का बोरा खोला गया।बोरा में चावल काला का अंश वाला था जैसे उसमें सीमेंट और गिट्टी की मिलावट की वजह से ऐसा हो सकता है।सूचना मिलते ही पूर्व वार्ड पार्षद डॉ जितेंद्र ने सक्रियता के साथ केंद्रों की जांच करते हुए बताया कि केंद्र संख्या 08 और 41 पर एक एक बोरा मिलावटी चावल पाया गया एवं केंद्र संख्या 40 पर चार बोरा और 39 पर एक बोरा जो वितरित कर दिया गया मना करने के बावजूद भी,पाया गया,बाक़ी शिकायत के बाद संवेदक ने लौटा लिया।केंद्र संख्या  39 की सेविका अर्चना कुमारी से पूछे जाने पर उसने कहा कि मैंने चावल संवेदक को लौटा दिया है जब की उसने अपना चावल वितरित कर दिया था,संवेदक ने भी चावल लौटाने बात स्वीकार नहीं किया।पूर्व पार्षद ने बताया कि लाभार्थी को 39 की सेविका अर्चना कुमारी अनाज कम वज़न तौल कर देती है उनहोंने वजन को दूसरी जगह जांच करवाया तो पता चला।जिस लाभार्थी को कम वजन दिया गया वो हैं;अनीता देवी,पति अनिल पौद्दार,रंजू देवी पति रंजीत पौद्दार।उक्त बातों की शिकायत जब डॉ जितेंद्र ने दूरभाष से डीपीओ को की तो उन्होंने कहा कि ये मामला मेरे कार्य क्षेत्र में नहीं बल्कि ज़िलाधिकारी के कार्य क्षेत्र में है,दूरभाष पर उनसे भी सम्पर्क किया गया तो उन्होंने कहा,'देखते हैं'।जो शायद नहीं देखा गया और न ही देखा जाएगा।सच जानिये तो आंगनबाड़ी केंद्र में लूट मचा हुआ है और लगभग ज़िला के सम्बंधित विभागीय अधिकारी से लेकर सभी आला अधिकारी को इस लूट की सूचना है लेकिन कभी कोई कार्रवाई नहीं होती है,खैर।प्रत्येक आंगनबाड़ी केंद्र 1000 आबादी में एक होना चाहिए और उसमें 96 लाभार्थी को अपने पोषक क्षेत्र में लाभ भी मिलते रहना है;जैसे अतिकुपोषित 12,कुपोषित 28,गर्भवती 08,धातृ 08 और स्कूल पूर्व बच्चा 40 होना अनिवार्य है।इसके लिए 16,700 रु प्रति केंद्र मिलता है,चावल छोड़ कर और वेतन अलग से।ऊपर से क्रमशः चावल 04 केजी, दाल 02 केजी और सोयाबीन 500 ग्राम,चावल 2.5 केजी,दाल 1.25 केजी,सोयाबीन 300 ग्राम,चावल 03 केजी, दाल 1.5 केजी,सोयाबीन 300 ग्राम,चावल 03 केजी,दाल 1.5 केजी,सोयाबीन 300 ग्राम प्रति लाभार्थी मिलना है।स्कूल पूर्व 40 बच्चों को प्रति 6 महीने पर पोषाक राशि 250 रु प्रति बच्चा मिलता है और अन्य पोषक तत्व में अभी गर्मी में मूंगफली देना है और ठंडी में अंडा देना है।ये तमाम योजना काग़ज़ पर भली भांति दौड़ रहा है लेकिन ज़मीनी स्तर पर सही तरीके से रेंग भी नहीं रहा है।किसी भी आंगनबाड़ी केंद्र में  96 लाभार्थी का सिर्फ और सिर्फ काग़ज़ी घोड़ा ही है धरातल पर सरकार की योजना को मुंह चिढ़ा रहा है।कभी कभार ज़िलाधिकारी महोदय दिखावे के लिए अपने कार्यालय से एक पत्र ज़ारी कर उपयुक्त कार्रवाई करने का निष्क्रिय निर्देश अवश्य निकाल देते हैं जो महज एक ऑफिसियल खानापूर्ति है।सीडीपीओ हो या सुपरवाइजर कोई भी अनिवार्य आवश्यक ऑफिसियल निरीक्षण नहीं करते हैं चूँकि सब मैनेज है और इसे कहते हैं "ग़ैर कानूनी मैनेजमेंट"।अगर इस पर उपयुक्त कार्रवाई की जाय तो अधिकतर केंद्र को बंद ही करना पड़ेगा।सरकार को चाहिए कि लूट खसोट की इस योजना को बंद कर दें या सेविका सहायिका,सीडीपीओ और सुपरवाइजर पर सख़्त से सख़्त उचित विभागीय कार्रवाई करें लेकिन जनाब फिर वही बात यहाँ सब मैनेज है।

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