आधार मामले में केंद्र ने मजबूती से किया फैसले का बचाव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 2 मई 2017

आधार मामले में केंद्र ने मजबूती से किया फैसले का बचाव

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नयी दिल्ली 02 मई, केंद्र सरकार ने पैन बनवाने और आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य करने के फैसले का आज उच्चतम न्यायालय में मजबूती से बचाव किया। एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भान की पीठ के समक्ष केंद्र सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि आधार की गोपनीयता को लेकर जारी चिंताएं बेकार हैं। उन्होंने कहा कि जब देश सम्पूर्ण विकास, खासकर तकनीकी विकास की ओर बढ़ रहा है, तो ऐसे में आधार बहुत ही जरूरी है। श्री रोहतगी ने दलील दी कि भारतीय पंजीकरण अधिनियम जैसे कई ऐसे कानून हैं जिनके तहत बायोमेट्रिक्स को आवश्यक बनाया गया है। उस बायोमेट्रिक्स और आधार के बीच सिर्फ यही अंतर है कि इसमें अंगुलियों के निशान इलेक्ट्रॉनिक मशीन पर रहेंगे। एटर्नी जनरल ने कहा कि एक व्यक्ति का राज्य के साथ सामाजिक करार होता है और कोई यह नहीं कह सकता कि वह ऐसे काल्पनिक प्रदेश में रहे, जहां सरकार नाम की चीज ही न हो। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने वित्त अधिनियम 2017 के तहत आयकर कानून की धारा 139(एए) के तहत पैन कार्ड और आईटीआर के लिए आधार कार्ड का होना अनिवार्य है। गत 27 अप्रैल को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं के वकील श्याम दीवान ने कहा था कि आधार कार्ड को अनिवार्य करना असंवैधानिक है। सरकार का यह फैसला पूरी तरह से अवैध है। कानून के अंतर्गत किसी व्यक्ति का बायोमेट्रिक ब्योरा नहीं रखा जा सकता। श्री दीवान ने कहा कि आधार लोगों का अधिकार है, न कि उनका कर्तव्य, जो उन्हें अपनी निजी जानकारी देने के लिए मजबूर करे, वह भी सरकार को नहीं, बल्कि एक निजी एजेंसी को। उल्लेखनीय है कि न्यायालय भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के वरिष्ठ नेता विनय विश्वम, दलित अधिकार कार्यकर्ता बेजवाडा विल्सन और एक सेवानिवृत्त अधिकारी एस जी वोम्बटकेरे की याचिका की सुनवाई कर रहा है।

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