नयी दिल्ली, 12 मई, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1997 के उपहार अग्निकांड मामले में रियल एस्टेट कारोबारियों सुशील एवं गोपाल अंसल के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ करने के आरोप तय करने संबंधी एक निचली अदालत के आदेश को आज बरकरार रखा। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल की पीठ ने कहा कि मजिस्ट्रेटी अदालत के पास रिकॉर्ड में पर्याप्त सामग्री है जो अंसल बंधुओं और अन्य के खिलाफ आरोप तय किए जाने को न्यायोचित ठहराती है। पीठ ने कहा, ‘‘सामग्री ने इस बात को लेकर गहरा संदेह पैदा किया कि आरोपियों ने अपराध को अंजाम दिया और इसके लिए उचित रूप से आरोप तय किए गए।’’ पीठ ने मजिस्ट्रेट की अदालत को मामले की आगे सुनवाई करने का आदेश दिया। मजिस्ट्रेट की एक अदालत ने 31 मई 2014 को आईपीसी के तहत अपराध के लिए उसकाने, सबूत को गायब करने, लोक सेवक द्वारा आपराधिक विश्वासघात करने और आपराधिक षड़यंत्र के तहत सात आरोपियों के खिलाफ आरोप तय करने का आदेश दिया था। थियेटर मालिक गोपाल अंसल और उसके भाई सुशील अंसल, अनूप सिंह, प्रेम प्रकाश बत्रा, हरस्वरूप पंवार, धर्मवीर मल्होत्रा और दिनेश चंद्र शर्मा वर्ष 2006 से लंबित मामले में सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने के आरोपी हैं। सभी आरोपियों ने उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों से इनकार किया है। उच्च न्यायालय ने आरोपियों की पुनर्विचार याचिकाओं के हस्तांतरण की मांग करने वाली दिल्ली पुलिस की याचिका को पिछले साल मार्च में विचारार्थ स्वीकार कर लिया था।
शुक्रवार, 12 मई 2017

उपहार अग्निकांड: अदालत ने अंसल बंधुओं के खिलाफ सबूतों से छेड़छाड़ के आरोप रखे बरकरार
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