बिहार : हाथ आशीर्वाद देने के लिए ही उठता है - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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शुक्रवार, 5 मई 2017

बिहार : हाथ आशीर्वाद देने के लिए ही उठता है

christin-news-biharबेतिया। ईसाई समुदाय का गढ़ है बेतिया। यहां पर 1 मार्च 1922 में राख बुधवार मनाया। 9 अप्रैल 1922 को पाम संडे मनाया। 13 अप्रैल को परमप्रसाद की स्थापना, 14 अप्रैल को पुण्य शुक्रवार और 16 अप्रैल को ईस्टर पर्व। ईस्टर पर्व के 8 वें दिन शनिवार 24 अप्रैल 1922 को माइकल एण्ड्रू जी का जन्म हुआ। अभी-अभी 24 अप्रैल को हैप्पी बर्थ डे मनाया। 95 साल के हैं। जी हां, बेतिया के क्रिश्चियन क्वार्टर परिसर में है ऐतिहासिक चर्च। चर्च रोड में है मार्था विला है। फिलवक्त इसी मार्था विला में रहते हैं माइकल एण्ड्रू। इनकी पत्नी का नाम मार्था माइकल हैं। पति और पत्नी के सहयोग से 9 संतान हुए। इसमें 5 लड़का और 4 लड़की। दोनों की ज्येष्ठ बेटी हैं हेलेन मेरी माइकल। वह सुन्दरवती महिला काॅलेज,भागलपुर में भौतिक शास्त्र की प्रोफेसर थीं। अभी 4 माह पूर्व ही काॅलेज से अवकाश ग्रहण की हैं। दोनों की छोटी लड़की हैं मेरी वायलेट सिरिल। पश्चिम चम्पारण के चुहड़ी में स्थित संत आन्स गल्र्स हाई स्कूल, की जीव विज्ञान की टीचर हैं। मां-बाप के सहयोग से सभी बच्चों का विवाह हो गया है। और तो और सभी अच्छे ओहदे पर पहुंचकर सेवा प्रदान किये। विधि के विधान के तहत बच्चों की लाडली मां मार्था माइकल का निधन हो गया है।



अपने पिताश्री के संर्भद में वाल्टर माइकल कहते हैं कि मेरे पिताश्री माइकल एण्ड्रू हैं। वे आयकर विभाग के इंस्पेक्टर थे। 1982 में अवकाश ग्रहण किये। अभी मार्था विला में रहते हैं। काफी अच्छे इंसान हैं। अपने बच्चों को सदैव उच्ची उड़ान पर चढ़ने लायक बनाये। हमलोगों पिताश्री नायक हैं। शतक से 5 कदम दूर रहने के बावजूद भी हरेक दिन शाम में मिस्सा सुनने चर्च जाते हैं। इनके हाथ में रोजरी रहता है। दिनभर रोजरी के सहारे प्रार्थना करते रहते हैं। वे बहुत ही ऊर्जावान और दयालु किस्म के व्यक्ति हैं। शाम में साढ़े सात बजे ही सो जाते हैं। सुबह 4 बजे उठ जाते हैं। अपने दैनिक कार्य खुद ही करते हैं। ढहती उम्र में भी व्यायाम करते हैं। नियमित भोजन करते हैं। हमलोग भी जर्बदस्ती भोजन नहीं देते हैं। इसी लिए स्वास्थ्य बेहतर हैं। टीवी से चिपके नहीं रहते हैं और न ही नशापान का ही सेवन करते हैं। मात्रः दुआ से ही भले चंगे हो गये।  3-4 बार बीमार पड़े हैं मगर दवा नहीं लिये। उनका हाथ आशीर्वाद देने के लिए ही उठता है। कोई भी व्यक्ति आते हैं उनको निराश नहीं करते हैं। 

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