मधुबनी/अंधराठाढी (मोo आलम अंसारी) महरैल गांव के बाढ विस्थापित 52 परीवारो का फिर से आशियाना उजरने की नौवत आबनी है। बाढ की त्रासदी के कारण ये परिवार विस्थापित हुआ था। आसरा को तलाश करते सरकारी भूखंड को हो अपना आशरा बनाया । कानूनी अर्चन में फसते इन परिवार को सरकारी भूखंड खाली करने के आदेश से एक बार फिर रातो की निंद उड गयी है।र्वा 2004 में कमला नदी के तेज धार में इनका घरवार आदि सब दह गया था। उसके वाद बाढ विस्थापित परीवारो ने गांव के उच्चे सरकारी भूखंड पर अपना बास बनाया । विस्थापितो को पर्चा आदि भी विमुक्त किया गया । अधिकांश परिवार ब्राहमण समुदय के लोग है। अब सरकार उन्हे सुयोग्य श्रेणी के लाभुक नहीं मानती है। दी पर्चा को रदद करते हुये सरकारी भूखंड को खाली कराने का आदेश पारित कर दी है।र्वा वाद इस तरह के आदेश आते हीं विस्थापित परिवारो के बीच साप सुघ गयी । विस्थापित परिवार के लोगो ने मानननीय उच्च न्यायालय पटना के शरण में गये मामला उच्च न्यायालय में प्रक्रीयाधीन है। इसी तरह 147 किसानो को पूर्व में विमुक्त अधिशे भूमि की पर्चा रदद कर दिया गया है। पर्चा धारी पर्चा मिलने के वाद से उस भूखंड पर खेती वारी कर जीवन बसर करता था । आदेश मिलने के वाद से मायूस है।
मंगलवार, 23 मई 2017
मधुबनी : बाढ विस्थापित परिवार को सरकारी भुखंड खाली कराने के आदेश से हरकंप।
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