अच्छा प्लेसमेंट रिकॉर्ड किसी संस्थान की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग की गवाही नहीं: प्रणव - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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बुधवार, 3 मई 2017

अच्छा प्लेसमेंट रिकॉर्ड किसी संस्थान की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग की गवाही नहीं: प्रणव

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जालंधर, 02 मई, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने देश में उच्च शिक्षा संस्थानों में मूलभूत और जारी शाेध की गुणवत्ता बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि सिर्फ अच्छा प्लेसमेंट रिकॉर्ड किसी संस्थान की अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग की गवाही नहीं देता है और देश में उच्च शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार के लिए संस्थानों में बौद्धिक पूंजी को बढ़ावा देना आवश्यक है। श्री मुखर्जी ने आज फगवाड़ा में लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी (एलपीयू) के आठवें दीक्षांत समारोह में कहा इस विश्वविद्यालय में 50 से अधिक देशों के छात्र शिक्षा लेने आते हैं। यह एक अच्छी उपलब्धि है, लेकिन हमें इसी से संतुष्ट नहीं होना चाहिये। उन्होंने याद दिलाया कि तक्षशिला और नालंदा विश्वविद्यालयों ने 1300 से अधिक वर्षों तक उच्च शिक्षा के क्षेत्र में एक छत्र राज किया। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाने वाले भारतीय छात्रों की प्रवृत्ति को उलट करना होगा, और तभी हमारी शिक्षा प्रणाली सफल होगी। उन्होंने कहा कि इस यूनिवर्सिटी के विशाल परिसर में पढ़ने वाले राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय दोनों ही विद्यार्थी अत्यंत भागयशाली हैं कि वे भिन्नता से भरपूर विद्यार्थी समुदाय के बीच सर्वश्रेष्ठ अध्यापकों द्वारा शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। वास्तव में एलपीयू के अंतर्राष्ट्रीय विद्यार्थी ऐसे राजदूत हैं जो अपने देशों में जब वापिस जाएंगे तो अपने साथ-साथ भारत की महान संस्कृति और मूल्यों को भी आत्मसात कर अपने साथ ले जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक स्तर पर शीर्ष 200 यूनिवर्सिटियों में अभी तक कोई भी भारतीय यूनिवर्सिटी शामिल नहीं हुई है। लेकिन अब वह समय है जब बहुत सी यूनिवर्सिटियां इस ओर सख्त मेहनत कर रही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि एलपीयू में देश की टॉप यूनिवर्सिटी बनने की विशाल क्षमता है। उन्होंने विद्यार्थियों को प्रेरित किया- 'जो शिक्षा आपने अपनी यूनिवर्सिटी में प्राप्त की है वह आपको बाहरी दुनिया की वास्तविकताओं तथा चुनौतियों का सामना करने में सहायक होगी क्योंकि शिक्षा एक शक्ति है। श्री मुखर्जी ने कहा एक अरब 30 करोड़ लोगों के देश के लिए 757 विश्वविद्यालय और 38,000 से अधिक डिग्री कॉलेज अपर्याप्त हैं। अधिक से अधिक लोगों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने उच्च शिक्षा संस्थानों में विचारों के अनुसंधान और उनके प्रसार पर बल देते हुए कहा कि यह दुनिया भर में विचारों का एक नि:शुल्क प्रवाह था जिसने भारत में महान विविधता के फूल को जन्म दिया। यह विविधता हमारी सभ्यता की महत्वपूर्ण गुणवत्ता थी। इस दौरान उन्हें डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की गई। एलपीयू इससे पहले भी विश्व के छह शीर्ष नेताओं जिनमें अफगानिस्तान, मॉरिशस, किंगडम ऑफ लिसॉथो, कॉमन वैल्थ ऑफ डोमिनिका के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री तथा विश्व शांति पुरस्कार विजेता धर्म गुरू 14वें दलाईलामा को भी मानद डॉक्टरेट की डिग्रियों से सम्मानित कर चुका है। इस अवसर पर माननीय राष्ट्रपति ने एलपीयू के विद्यार्थियों को उनकी अकादमिक एवं अनुसंधान दक्षता के लिए पीएचडी की डिग्रियां, 38 स्वर्ण पदक और 164 पुरस्कार प्रदान किये। इससे पहले श्री मुखर्जी वर्ष 2013 में आयोजित तीसरे दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि थे। पंजाब के राज्यपाल वी पी सिंह बदनौर ने दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता की।

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