नयी दिल्ली,02 मई, दिल्ली उच्च न्यायालय ने वर्ष 2005 में एक मिग 21 विमान दुर्घटना के बाद भारतीय वायु सेना के एक सेवारत पायलट को अयोग्य करार देने के मामले में केन्द्र सरकार और हिंदुस्तान एयराेनाटिकल लिमिटेड (एचएएल) को आज 55 लाख रुपये मुआवजा देने का निर्देश दिया इस मामले में वायु सेना में सेवारत विंग कमांडर संजीव कालिया ने वर्ष 2013 में उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर की थी ताकि इस दुर्घटना के लिए जिम्मेदार माने गए कथित निर्माण और कार्यकुशलता संबंधी खामियों के लिए औपचारिक माफी के संबंध में सरकार और एचएएल को निर्देश जारी किए जाए। संजीव कालिया ने न्यायालय को बताया कि वर्ष 2005 में वह राजस्थान में वायु सेना स्टेशन पर स्क्वाड्रन लीडर के रूप में तैनात थे और 4 जनवरी को उन्होंने अपने तीन सहयोगी पायलटों के साथ नियमित उड़ान भरी थी। इसके बाद यह लडाकू विमान दुर्घटनाग्रस्त हाे गया था। उन्होंने बताया कि सूचना के अधिकार के कानून के तहत उन्होंने इस दुर्घटना के कारणों की जानकारी मांगी थी तो कोर्ट आफ इंक्वायरी ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि दुर्घटना का कारण लडाकू विमान की निम्नस्तरीय कार्यकुशलता और निर्माण संबंधी खामियां थी।
बुधवार, 3 मई 2017
मिग-21 दुर्घटना मामले में पायलट को 55 लाख का मुआवजा देने का निर्देश
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