नर्मदा आन्दोलनकारियों ने की राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की गुहार - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

मंगलवार, 30 मई 2017

नर्मदा आन्दोलनकारियों ने की राष्ट्रपति से हस्तक्षेप की गुहार

narmada-protest
नयी दिल्ली 30 मई, नर्मदा आन्दोलन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं ने राष्ट्रपति प्रणव मुख़र्जी से मध्यप्रदेश में नर्मदा के डूब क्षेत्र के करीब 118 गाँव से हटाये जा रहे 40 हज़ार से अधिक परिवारों के पुनर्वास के लिए तत्काल हस्तक्षेप करने की मांग की है। अखिल भारतीय किसान सभा के महासचिव एवं मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के पूर्व सांसद हन्नान मोल्ला के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कल श्री मुख़र्जी से मिलकर यह मांग की और उन्हें इस संबंध में एक ज्ञापन भी सौंपा जिस पर नर्मदा बचाओ आन्दोलन की नेता मेधा पाटकर ,मुज़फ्फर अली और विनायक सेन समेत डेढ़ सौ लोगों के हस्ताक्षर हैं। प्रतिनिधिमंडल में नर्मदा आन्दोलन के कार्यकर्ता विमल भाई, अन्नी राजा और हिमशी सिंह शामिल थी। श्री मोल्ला ने आज यहाँ पत्रकारों से बातचीत में कहा कि नर्मदा आन्दोलन के 31 साल पूरे हो गए हैं लेकिन प्रभावित लोगों की मांगें अभी तक नहीं मानी गयी हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि मध्य प्रदेश सरकार उच्चतम न्यायालय के आठ फरवरी के आदेश का उल्लंघन करते हुए प्रभावित परिवारों काे 31 जुलाई तक वहां से हटाना चाहती है। श्री मोल्ला ने कहा कि अदालत ने विस्थापित लोगों के पुनर्वास और मुआवजे के लिए अंतिम तारीख आठ मई तय की थी लेकिन सरकार ने अब तक ऐसे लोगाें का सर्वेक्षण ही नहीं कराया है जिन्हें मुआवजा दिया जाना है और जिनका पुनर्वास किया जाना है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति को जानकारी दी गयी कि प्रतिनिधिमंडल ने उन गाँवों का दौरा किया है और पाया कि लोगों का पुनर्वास किये बिना उनको हटाया जा रहा है। राष्ट्रपति से मानवीय और संवैधानिक पक्षों काे ध्यान में रखते हुए इस मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया गया है। नर्मदा आन्दोलन से जुड़े नेता डॉ. सुनीलम ने कहा कि सरकार ने अभी तक यह सर्वेक्षण भी नहीं किया कि कितने गाँव डूबेंगे और कितने लोग इससे प्रभावित होंगे । सरकार समय-समय पर अलग-अलग आंकड़े बताती है। 

कोई टिप्पणी नहीं: