नयी दिल्ली 05 मई, राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद् (एनसीईआरटी) ने मीडिया के कुछ वर्गों में छपी इस खबर को गलत बताया है कि दसवीं कक्षा के लिए राजनीति शास्त्र की उसकी पुस्तक के एक अध्याय में नक्सली नेता एम कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी के विचारों का उल्लेख किया गया है। एनसीईआरटी ने आज जारी विज्ञप्ति में कहा कि वस्तुत: पुस्तक के अध्याय छह के पृष्ठ -76 में ‘किशनजी’ का उल्लेख समाजवादी नेता किशन पटनायक के लिए किया गया है, जो 1962 में ओड़िशा के सम्बलपुर से सांसद रहे थे और उनका 2004 में निधन हो गया था और पुस्तक में इस बात का भी उल्लेख है कि किशनजी अब नहीं हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि ‘किशनजी’ नाम के उल्लेख को भ्रमवश नक्सली नेता एम कोटेश्वर राव उर्फ किशनजी समझ लिया गया, जो 2011 में पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारा गया था। एनसीईआरटी ने स्पष्ट किया है कि यह पुस्तक मार्च, 2007 में प्रकाशित की गयी थी और तब से उसके इस अध्याय में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। उसने कहा है कि नक्सली नेता किशनजी 2011 में मारा गया था और यह स्वाभाविक है कि 2007 में प्रकाशित पुस्तक में उसके जीवित न रहने का उल्लेख नहीं किया जा सकता है। उसने कहा है कि इस अध्याय में संवैधानिक तरीकों से लोकतांत्रिक सुधारों के बारे में चर्चा की गयी है। किसी भी नक्सली नेता का इसमें कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इसमें चार महिलाएं राजनीतिक संगठनों की भूमिका के बारे में किशनजी के विचारों पर चर्चा कर रही हैं। पुस्तक के पृष्ठ-76 के अंत में छात्रों से सवाल किये गये हैं-“ किशनजी अब नहीं रहे। इन चार कार्यकर्ताओं के लिए आप की क्या सलाह होगी। क्या उन्हें एक नया राजनीतिक दल बनाना चाहिए। क्या एक राजनीतिक दल राजनीति में नैतिक शक्ति बन सकता है। यह दल कैसा होना चाहिए। ” एनसीईआरटी ने कहा है कि इस सबसे यह जाहिर है कि इस अध्याय में नक्सली नेता का उल्लेख नहीं है, जैसा कि मीडिया की कुछ रिपोर्टों में बताया गया है।
शनिवार, 6 मई 2017
पुस्तक में नक्सली नेता किशनजी का नहीं, किशन पटनायक का है उल्लेख : NCERT
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