असरदार नहीं लगती रामू की नयी ‘सरकार’ - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शनिवार, 13 मई 2017

असरदार नहीं लगती रामू की नयी ‘सरकार’

sarkar-3-disappointing
नयी दिल्ली 12 मई, बॉलीवुड में कभी अपनी दमदार फिल्मों के लिये जाने जाने वाले राम गोपाल वर्मा लंबे समय से ऑफ ट्रैक हो गये है। बॉक्स ऑफिस पर लगातार औंधे मुंह गिरती फिल्मों से निपटने के लिये रामू ने सहारा लिया है अपनी हिट फिल्म सीरीज ‘सरकार’ का। ‘सरकार राज’ के रिलीज के नौ वर्षों के बाद ‘सरकार’ सीरीज की तीसरी फिल्म ‘सरकार 3’ आज रिलीज हुई, जिसमें अमिताभ बच्चन के साथ मनोज बाजपेयी, रोनित रॉय, अमित साध, जैकी श्रॉफ और यामी गौतम जैसे सितारें है। कहानी:- सरकार यानी सुभाष नागरे (अमिताभ बच्चन) का पोता शिवाजी नागरे (अमित साध) अपने पिता की मौत को बदला लेना चाहता है और योजना के तहत अपने दादा के साथ काम करता है लेकिन सरकार के दायें हाथ के तौर पर जाने जाने वाले गोकुल (रोनित रॉय) को यह बात खटक जाती है। सरकार के विरोधी उसे मारने की तैयारी करते है। विरोधियों जिसमें राजनीतिज्ञ गोविंद देशपांडे (मनोज वाजपेयी) और बिजनेस मैन वालया (जैकी श्राफ) शामिल है। सरकार के विरोधी शिवाजी को अपने पाले में कर सरकार को मारने की योजना बनाते है। उधर गोकुल और शिवाजी के बीच भी सरकार की वसियत को लेकर तनातनी रहती है, दोनों सरकार की जगह लेना चाहते है और एक दूसरे को सरकार से दूर करना चाहते है। फिल्म का क्लाइमेक्स वैसा ही है जैसा अाप सोच रहे हैं। सरकार अपने सारे विरोधियों का खत्म कर देते है, लेकिन यह कैसे होता यह बताने से अापके फिल्म देखने का मजा किरकिरा हो जायेगा।


निर्देशन :- लगता है रामू ने अपनी गलतियों से ना सीखने की कसम खाई है। उनकी फिल्मों का स्तर गिरता जा रहा है। ‘सरकार 3’ सरकार सीरीज की फिल्मों की तुलना में कहीं नहीं ठहरती। फिल्म में ऐसे ट्वीस्ट्स और टर्न्स है जिसका अंदाजा अाप पहले ही लगा लेंगे। डाॅयलॉग्स में ऐसे वन लाइनर्स है जिसमें कोई नयापन नहीं।

अभिनय:- पूरी फिल्म अमिताभ अपने दम पर खींचते है, उनका अभिनय शानदार है । बच्चन साहब के अलवा मनोज वाजपेयी भी प्रभावित करते है, फिल्म की सबसे बड़ी यूएसपी पर्दे पर दोनों के एक दूसरे से टकराना है। इस सीन में मनोज अमिताभ पर भारी लगते है। अमित साध अपनी छाप छोडने में नाकाम रहे तो यामी गौतम ने भी निराश किया। जैकी श्राफ फिल्म में विलेन जरूर है पर्दे पर ज्यादा दिखें नहीं।

गीत संगीत :- फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक अच्छा है लेकिन गाने निराश करते है। अमिताभ की आवाज में गणेश आरती अच्छा लगता है तो वहीं मीका, सुखविंदर सिंह और कैलाश खेर जैसे गायक इस फिल्म में अपनी प्रतिभा के साथ न्याय नहीं कर पाते। ‘सरकार’ सीरीज की फिल्मों का सिगनेचर ट्यून ‘गोविंदा-गोविंदा.....’ का बार बार आना इसे बोझिल बनाता है।

देखे या ना देखे:- अगर सरकार सीरीज की दोनों फिल्मों ने आपको बहुत प्रभावित किया तो इस फिल्म को एक बार देख सकते है। वैसे इस सरकार में अभिताभ और मनोज के अभिनय के अलावा फिल्म में कुछ भी दमदार नहीं। 

रेटिंग:- ‘सरकार’ सीरीज की पहली दोनों फिल्मों में रफतार अच्छी थी, कड़ियां एक दूसरे से जुड़ती थी लेकिन इस फिल्म में ऐसा नहीं है। पटकथा और अभिनय कई जगह इतनी कमजोर है कि गंभीर दृश्यों पर अापको हंसी आयेगी कि ये हो क्या रहा है।

फिल्म को हमारी तरफ से पांच में दो स्टार (2*/5*)

कोई टिप्पणी नहीं: