डॉ. बीरबल झा ने की 'मिथिला एंथम' की रचना - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

रविवार, 9 जुलाई 2017

डॉ. बीरबल झा ने की 'मिथिला एंथम' की रचना

birbal-jha-write-mithila-anthem
मैथिल एवं मिथिला संस्कृति को लेकर देश-विदेश में अलख जगाने वाले मिथिलालोक फाउंडेशन के चेयरमैन डॉ. बीरबल झा ने अंग्रेजी भाषा में एक 'मिथिला एंथम' (मिथिला गान) की रचना की है जिसे पिछले दिनों ही भारत सरकार के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा कॉपी राइट्स अधिकार मिला है। बीस पंक्तियों की इस रचना में दुनिया भर में फैले उन सभी मिथिलावासियों से मिथिला आने का आह्वान किया गया है जो इस संस्कृति व विरासत का हिस्सा हैं और इससे जुड़कर अपनी पहचान बनाये रखना चाहते हैं। 

उल्लेखनीय है कि डॉ. झा पिछले काफी समय से विविध प्रकार की सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियां आयोजित करके राष्ट्रीय व अन्तराष्ट्रीय स्तर पर मिथिला संस्कृति व विरासत का प्रचार-प्रसार करते रहे हैं। अभी हाल में ही 'पाग बचाओ अभियान' और 'चलो सौराठ सभा' जैसे कार्यक्रमों का आयोजन करके उन्होंने विश्वभर के मैथिलवासियों का ध्यान आकर्षित किया था। मिथिला में पाग पहनने की बेहद प्राचीन परम्परा रही है जिसे लोग अब भूलते जा रहे हैं। असल में, यह पाग सम्मान और लोक संस्कृति का परिचायक है जो क्षेत्र विशेष की विशिष्टताओं को व्यक्त करती है। इसी तरह, मिथिला की 'सौराठ सभा' परम्परागत विधियों से दहेजमुक्त सामूहिक विवाह और ज्ञान-विज्ञान पर शास्त्रार्थ करने के लिए प्रसिद्ध रहा है। यहाँ बहुचर्चित मंडन मिश्र और शंकराचार्य जैसे दिग्गज विद्वानों तक के बीच शास्त्रार्थ हो चुका है। इस साल से सौराठ सभा को पुनर्जीवित करने का अभियान भी शुरू हुआ और काफी समय बाद 365 युवा जोड़ियों का विवाह भी संपन्न कराया गया। 


डॉ. झा का मानना है कि 'मिथिला एंथम' मिथिला की इन सभी बिखरी कड़ियों को जोड़ने वाला एक माध्यम साबित होगा। गान मूलतः सामूहिक होता है और इसका उद्देश्य भी मिथिलावासियों के मध्य एकता व भाईचारा विकसित करना है। 'ओ माई डिअर फ़ेलो' से शुरू होने वाला यह 'एंथम' मैथिली भाषा में लिखने के बजाय अंग्रेजी में ही क्यों लिखा गया, इस सवाल पर डॉ. झा का कहना है कि चूँकि अंग्रेजी अंतर्राष्ट्रीय भाषा है और इसके माध्यम से हम देश के बाहर रहने वाले मैथिलवासियों से भी आसानी से जुड़ सकते हैं, इसलिए पहले अंग्रेजी में ही लिखा गया, लेकिन जल्द ही इसका मैथिली और हिंदी दोनों में भावानुवाद कराया जायेगा। उनका कहना है कि अभी तो यही बेहद ख़ुशी की बात है कि मिथिला संस्कृति का एक अपना 'मिथिला गान' बनकर तैयार हो चुका है जो हमें भावनात्मक स्तर पर हमें परस्पर करीब लाने में सहायक होगा।

कोई टिप्पणी नहीं: