मधुबनी : जयनगर के श्रावण महीना की पहली सोमवारी रिमझिम वारिस से शुरू - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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सोमवार, 10 जुलाई 2017

मधुबनी : जयनगर के श्रावण महीना की पहली सोमवारी रिमझिम वारिस से शुरू

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जयनगर/मधुबनी (सुरेश कुमार) प्रखंड मुख्यालय जयनगर के श्रावण महीना की पहली सोमवारी रिमझिम वारिस से शुरू हुयी ,झमाझम वारिस मे शिव भक्तो के द्वारा जयनगर कमला नदी से पवित्र जल भरकर कप्लेश्व्र र धाम एवम जयनगर शीलानाथ धाम कावरियो की जत्था महादेव के जलाभिषेक के लिये चलते है इस जत्था मे सभी वर्णों के सदस्य होने के साथ बच्चे बढ़ो पुरुष एवम महिलाएँ शामिल होती है ।बताते चले की जयनगर से शीला नाथ धाम महादेव मंदिर की दूरी लगभग पाँच किलो मीटर की दूरी है ।मंदिर तक जाने के लिये पैदल ,,ऑटो एवम बस तथा रिक्शा तांगा से भक्त जाते है ।इस मंदिर की जिक्र वेद पुराणों मे मौजूद है ।शीलानाथ मंदिर को लोग सील्बत्ती महादेव के नाम से भी जानते है ,,,,वेद पुराण के अनुसार जब सीता माता की विवाह जनकपुर मे अयोध्या के राम चंद्र से तय हुआ तो विवाह मे जाने के समय महर्षि परशुराम ने महादेव मंदिर के बगल मेघ्वारी गाँव मे दैत्यों के द्वारा एक ही रात मे पोखर की खुदायी की गयी थी उसी पोखर मे परशुराम जी ने स्नान कर कूछ डेढ़ विश्राम करने के पश्चात जनकपुर धाम के के लिये प्रस्थान किये थे !!!!आज भी ऐसा मानना है की जो भी भक्त दादरी पोखरी मे स्न्नान कर शीलानाथ महादेव मंदिर मे जलाभिषेक करेगा तो ऊन भक्तो पर महादेव की विशेष कृपा होगी ।।।बुजुर्गो की माने तो पहले महादेव मंदिर शीलानाथ के बगल से कमला नदी बहती थी एवम मंदिर इतना विशाल था की हजारो की संख्या मे कबूतर की निवास अस्थ्ली मंदिर की छत थी आज से लगभग सौ शालू से ऊपर कमला नदी मे बाढ़ आयी और महादेव मंदिर जल मग्न हो गयी तथा मंदिर परिसर मे रह रहे कबूतर के उड़ान से लगभग तीन किलो मीटर तक अँधेरा छा गया और लोग अपने अपने घरो मे दिया जलाने को मजबूर हो गयी कूछ दिनो बाद मंदिर स्वेंग ऊपर आ गये तथा कमला नदी की रुख धीरे धीरे पूरब की ओर मुड़ गया आज भी शीलानाथ मंदिर के इर्द गिर्द खेती करने के लिये खुदायी होती है तो बालू निकलती है ।आज भी बुजुर्ग की बोलना है की नौ नाथ मे एक नाथ  है शीला नाथ    ।।।।प्रत्येक सोमवारी की संध्या विशेष झाखी की आयोजन भक्तो द्वारा की जाती है   ॥॥

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