झारखंड सरकार कैदियों के बच्चों का स्कूल में कराएगी नामांकन - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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गुरुवार, 6 जुलाई 2017

झारखंड सरकार कैदियों के बच्चों का स्कूल में कराएगी नामांकन

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रांची 06 जुलाई, झारखंड के विभिन्न जेलों में सजा काट रहे कैदियों, सजायाफ्ता माता-पिता या अभिभावकों के पांच साल की उम्र से अधिक के बच्चों का स्कूलों में नामांकरण अब राज्य सरकार करायेगी। झारखंड की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने आज यहां गृह, कारा एवं आपदा प्रबंधन विभाग एवं झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड के कार्यों की समीक्षा करते हुए अधिकारियों को निर्देश दिया कि पांच वर्ष की उम्र से ऊपर के ऐसे सभी बच्चों का स्कूलों में नामांकन सुनिश्चित करायें जिनके माता-पिता या अभिभावक सजायाफ्ता हैं या जेल में बंद हैं। जेल में मां के साथ बंद ऐसे बच्चों की भी प्रोफाइलिंग की जाये और ऐसे बच्चों को आवासीय, आश्रम या गुरुकुल विद्यालयों में नामांकन की व्यवस्था सुनिश्चित की जाये। श्रीमती वर्मा ने सभी हार्डकोर अपराधियों एवं हार्डकोर नक्सलियों की पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से ही कराने के निर्देश दिये। उन्होंने कहा कि जब तक पूर्ण रूप से न्यायालयों का डिजीटलीकरण नहीं हो जाता तब तक कैदियों का ट्रायल वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से कराया जायएगा। उन्होंने राज्य के 24 जिलों में अवस्थित न्यायालयों की अदालतों एवं जेलों में वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुविधा बहाल करने का भी निर्देश दिया।

मुख्य सचिव ने राज्य के विभिन्न कारावासों में बंद सजायाफ्ता बंदियों को केन्द्रीय कारागारों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया। बैठक के दौरान यह भी निर्णय लिया गया कि जेलों में मोबाईल डिटेक्ट करने के लिए उपकरणों की खरीद की जायेगी। श्रीमती वर्मा ने सभी गृह रक्षकों के वेतन का भुगतान प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से करने का निर्देश देते हुए सभी की ड्यूटी आवंटित करने को कहा है। उन्होंने कहा कि कस्तूरबा विद्यालयों में दो-दो महिला होमगार्ड के अलावा राज्य के विभिन्न बैंकों एवं कॉलेजों से भी समन्वय स्थापित कर होमगार्ड तैनात किये जायेंगे। मुख्य सचिव ने झारखंड पुलिस हाउसिंग कॉरपोरेशन लिमिटेड की समीक्षा करते हुए दुमका, पलामू, चाईबासा, सरायकेला-खरसांवा में पुलिस लाईन निर्माण की दिशा में तेजी से कार्य करने का निदेश दिया। उन्होंने कहा कि पीएमसी के चयन की प्रक्रिया अविलंब पूर्ण की जाये तथा उसकी विस्तृत योजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार कराई जाये। पुलिस लाइन में विभिन्न खेलों की सुविधा हो। 

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