नयी दिल्ली 20 अगस्त, सरकार और बैंक यूनियनों के बीच मांगों के लेकर वार्ता विफल हो जाने के बाद बैंक कर्मियों की 22 अगस्त को होने वाली राष्ट्रव्यापी हड़ताल से बैंकिंग गतिविधियां बुरी तरह प्रभावित हो सकती हैं। केन्द्रीय श्रम आयुक्त ने बैंक यूनियंस के फोरम यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस की 22 अगस्त की प्रस्तावित हड़ताल के लिए बैंक यूनियन और इंडियन बैंक्स एसोशिएसन को वार्ता के लिए बुलाया था। इस वार्ता के पटरी से उतरने के कारण बैंक यूनियंस ने 22 अगस्त की अपनी प्रस्तावित हड़ताल वापस नहीं ली। नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्विनी राणा का कहना है कि गत अगस्त को ही हड़ताल का नोटिस दे दिया गया था। यदि सरकार गंभीर होती तो बहुत पहले ही यूनियन के साथ बैठक करके हड़ताल टाल सकती थी लेकिन केंद्रीय श्रम आयुक्त ने हड़ताल से केवल चार दिन पूर्व बातचीत के लिए बुलाया । वार्ता में सरकार की तरफ से कोई संतोषजनक उत्तर ना मिलने के कारण बैंक कर्मचारी 22 अगस्त को हड़ताल पर जाने के लिय मजबूर हैं। ” इस हड़ताल का आह्वान बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों के संयुक्त संगठन , यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस ने किया है। इसमें कर्मचारियों के पांच और अधिकारियों के चार संगठन शामिल हैं । इन संगठनों के 10 लाख बैंक कर्मचारी, अधिकारी इस हड़ताल में शामिल होंगे। बैंककर्मियों की मांग है कि बैंकों का निजीकरण और विलय न किया जाये तथा बैंकों में सभी पदों पर भर्ती ,बैंकों में अनुकंपा आधार पर नियुक्ति और नोटबंदी के दौरान किये गये अतिरिक्त काम का ओवरटाइम दिया जाये।
सोमवार, 21 अगस्त 2017

22 अगस्त को बैंककर्मियों की हड़ताल
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