- चारा घोटाले की तर्ज पर राजनीतिक संरक्षण में हुुआ है यह घोटाला, सीबीआई जांच कराये सरकार.
- विकास कार्यों को एनजीओ के हवाले करने का नतीजा है संस्थागत भ्रष्टाचार में इजाफा.
पटना 11 अगस्त, माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि भागलपुर ‘एनजीओ खजाना घोटाला’ चारा घोटाले की तर्ज पर राजनीतिक संरक्षण में एक संस्थागत घोटाला है, जो लंबे समय से चल रहा है. चूंकि इस खजाना घोटाले के दौरान लंबे समय तक वित्तमंत्री का पद ‘घोटाला उजागर पुरुष’ सुशील कुुमार मोदी के पास ही था, इसलिए वे अपने पद से तत्काल इस्तीफा दें. और यदि सुशील कुमार मोदी इस्तीफा नहीं देते, तो ‘जीरो टाॅलरेंस’ की नीति पर चलने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को उन्हें तत्काल बर्खास्त कर देना चाहिए. उन्होंने नीतीश कुमार द्वारा एनजीओ के जरिए विकास कार्यक्रमों को लागू कराने की नीति की भी कड़ी निंदा की. कहा कि आज स्पष्ट हो गया है कि एनजीओ के माध्यम से सरकारी कामों को कराने का मतलब है- संस्थागत भ्रष्टाचार को बढ़ावा देना. यह काॅमन सेंस में है कि नीतीश राज में संस्थागत भ्रष्टाचार में काफी बढ़ोतरी हुई है. इसलिए इसकी नैतिक जवाबदेही नीतीश कुमार को अपने ऊपर लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि लंबे समय से चल रहा इस तरह का फर्जीवाड़ा बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है. इसलिए पूरे मामले की सीबीआई जांच करानी चाहिए और तमाम दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. ठीक जिस प्रकार चारा घोटाले में ऊपर से लेकर नीचे तक राजनेता-प्रशासन का संपूर्ण तंत्र घोटाले में शामिल था, इस एनजीओ घोटाले में भी ठीक वही बात निकलकर सामने आई है. इस खजाना लूट की सीबीआई जांच और सुशील कुमार मोदी की बर्खास्तगी की मांग को लेकर कल 12 अगस्त को भगालपुर में प्रतिवाद कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, साथ ही पूरे बिहार में विरोध किया जाएगा.
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