राष्ट्रपति ने कहा : न्यू इंडिया में गरीबी की कोई जगह नहीं - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

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मंगलवार, 15 अगस्त 2017

राष्ट्रपति ने कहा : न्यू इंडिया में गरीबी की कोई जगह नहीं

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नयी दिल्ली,14 अगस्त, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अगले पांच वर्ष में ‘न्यू इंडिया’ बनाने के राष्ट्रीय संकल्प को हासिल करने के लिये नागरिकों और सरकार के बीच मजबूत साझेदारी की आवश्यकता पर आज बल दिया तथा इसके स्वरूप की विस्तृत रूपरेखा देशवासियों के सामने रखते हुए कहा कि इसमें गरीबी के लिए कोई जगह नहीं है। श्री कोविंद ने 71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र को संबोधित करते हुये कहा कि जिस न्यू इंडिया की बात हो रही है उसके कुछ बड़े स्पष्ट मापदंड हैं जैसे हर परिवार के लिये घर, मांग के मुताबिक बिजली, बेहतर सड़कें और संचार के माध्यम, आधुनिक रेल नेटवर्क, तेज और सतत विकास। राष्ट्रपति ने कहा,“ लेकिन इतना काफी नहीं है। यह भी जरूरी है कि न्यू इंडिया हमारे डीएनए में रचे बसे समग्र मानवतावादी मूल्याें को समाहित करे। यह न्यू इंडिया एक ऐसा समाज होना जो भविष्य की ओर तेजी से बढ़ने के साथ-साथ संवेदनशील भी हो।” आधुनिक टेक्नॉलॉजी को ज्यादा से ज्यादा प्रयोग में लाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा,“ हमें अपने देशवासियों को सशक्त बनाने के लिए टेक्नॉलॉजी का प्रयोग करना ही होगा, ताकि एक ही पीढ़ी के दौरान गरीबी को मिटाने का लक्ष्य हासिल किया जा सके। ‘न्यू इंडिया’ में गरीबी के लिए कोई गुंजाइश नहीं है।” न्यू इंडिया कैसा हो इसके बारे में श्री कोविंद द्वारा पेश की गयी अवधारणा इस प्रकार है...... • एक ऐसा संवेदनशील समाज, जहां पारंपरिक रूप से वंचित लोग, चाहे वे अनुसूचित जाति के हों, जनजाति के हों या पिछड़े वर्ग के हों, देश के विकास प्रक्रिया में सहभागी बनें। • एक ऐसा संवेदनशील समाज, जो उन सभी लोगों को अपने भाइयों और बहनों की तरह गले लगाए, जो देश के सीमांत प्रदेशों में रहते हैं, और कभी-कभी खुद को देश से कटा हुआ सा महसूस करते हैं। • एक ऐसा संवेदनशील समाज,जहां अभावग्रस्त बच्चे, बुजुर्ग और बीमार वरिष्ठ नागरिक और गरीब लोग, हमेशा हमारे विचारों के केंद्र में रहें। अपने दिव्यांग भाई-बहनों पर हमें विशेष ध्यान देना है और यह देखना है कि उन्हें जीवन के हर क्षेत्र में अन्य नागरिकों की तरह आगे बढ़ने के अधिक से अधिक अवसर मिलें। • एक ऐसा संवेदनशील और समानता पर आधारित समाज, जहां बेटा और बेटी में कोई भेदभाव न हो, धर्म के आधार पर कोई भेदभाव न हो। • एक ऐसा संवेदनशील समाज जो मानव संसाधन रूपी हमारी पूंजी को समृद्ध करे, जो विश्वस्तरीय शिक्षण संस्थानों में अधिक से अधिक नौजवानों को कम खर्च पर शिक्षा पाने का अवसर देते हुए उन्हें समर्थ बनाए, तथा जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और कुपोषण एक चुनौती के रूप में न रहें। राष्ट्रपति ने कहा, “न्यू इंडिया’ का अभिप्राय है कि हम जहां पर खड़े हैं वहां से आगे जाएं। तभी हम ऐसे ‘न्यू इंडिया’ का निर्माण कर पाएंगे जिस पर हम सब गर्व कर सकें। ऐसा ‘न्यू इंडिया’ जहां प्रत्येक भारतीय अपनी क्षमताओं का पूरी तरह विकास और उपयोग करने में इस प्रकार सक्षम हो कि हर भारतवासी सुखी रहे। यह एक ऐसा ‘न्यू इंडिया’ बने जहां हर व्यक्ति की पूरी क्षमता उजागर हो सके और वह समाज और राष्ट्र के लिए अपना योगदान कर सके।” उन्होंने कहा, “ मुझे पूरा भरोसा है कि नागरिकों और सरकार के बीच मजबूत साझेदारी के बल पर ‘न्यू इंडिया’ के इन लक्ष्यों को हम अवश्य हासिल करेंगे।”

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