नयी दिल्ली, 17 अगस्त, उच्चतम न्यायालय ने आगरा के विश्व प्रसिद्ध ताजमहल के इर्द-गिर्द 80 किमी के दायरे में मौजूद 450 पेड़ काटने की अनुमति को लेकर दायर याचिका पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की पीठ ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि क्या ताजमहल को खत्म करने का इरादा है। अगर ऐसा है तो इसके लिए अलग से याचिका दायर की जाये। न्यायालय के तेवर उस समय तल्ख हुए जब उनके सामने 450 पेड़ काटने की अनुमति देने को लेकर याचिका सुनवाई के लिए आई। सरकार का कहना था कि दिल्ली से मथुरा तक रेल यातायात को दुरुस्त करने की जरूरत है। इसके लिए मथुरा से दिल्ली तक अतिरिक्त रेल लाइन बिछाने की योजना पर सरकार काम कर रही है। सरकार ने लगभग 450 पेड़ चिह्नित किए जिन्हें काटने के बाद ही रेल लाइन बिछाने का काम शुरू हो सकता है। पीठ का कहना था कि ये बेशकीमती धरोहर पहले ही दम तोड़ने की कगार पर है। पेड़ काटने के बाद तो हालात बदतर हो जाएंगे। शीर्ष अदालत मामले की सुनवाई अगले माह करेगी। उल्लेखनीय है कि ताजमहल का निर्माण मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी बेगम मुमताज महल की याद में कराया था। यूनेस्को ने इस अनूठी कलाकृति को विश्व की धरोहरों में शामिल किया है। पर्यावरणविद एम सी मेहता ने इसके संरक्षण को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। उनका कहना है कि गैस एवं अन्य प्रदूषित चीजों से ताज दम तोड़ रहा है।
शुक्रवार, 18 अगस्त 2017
सुप्रीम कोर्ट ने पूछा: ताजमहल को खत्म करने का इरादा है क्या?
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