देश में मनाया गया विश्व मधुमक्खी दिवस - Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)

Breaking

प्रबिसि नगर कीजै सब काजा । हृदय राखि कौशलपुर राजा।। -- मंगल भवन अमंगल हारी। द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी ।। -- सब नर करहिं परस्पर प्रीति । चलहिं स्वधर्म निरत श्रुतिनीति ।। -- तेहि अवसर सुनि शिव धनु भंगा । आयउ भृगुकुल कमल पतंगा।। -- राजिव नयन धरैधनु सायक । भगत विपत्ति भंजनु सुखदायक।। -- अनुचित बहुत कहेउं अग्याता । छमहु क्षमा मंदिर दोउ भ्राता।। -- हरि अनन्त हरि कथा अनन्ता। कहहि सुनहि बहुविधि सब संता। -- साधक नाम जपहिं लय लाएं। होहिं सिद्ध अनिमादिक पाएं।। -- अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के । कामद धन दारिद्र दवारिके।।

शुक्रवार, 18 अगस्त 2017

देश में मनाया गया विश्व मधुमक्खी दिवस

world-honeybee-day-celebrated
नयी दिल्ली 18 अगस्त, भारतीय जनजातीय सहकारी विपणन विकास संघ (मर्यादित) ने आम लोगों विशेषकर आदिवासियों में मधुमक्खी के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए आज पूरे देश में विश्व मधुमक्खी दिवस मनाया गया। संघ की ओर से दिल्ली हाट , महादेव रोड और कनाट प्लेस स्थित बिक्री केन्द्र में मधुमक्खी से संबंधित प्रदर्शनी लगायी गयी और लोगों को मधुमक्खी और शहद से होने वाले फायदों को बताया गया । संघ के सभी क्षेत्रीय कार्यालयों तथा 43 बिक्री केन्द्रों पर मधुमक्खी से संबंधित प्रदर्शनी लगायी गयी। वन क्षेत्र में रहने वाले अधिकांश आदिवासी जंगल में मधुमक्खी के छत्ते से शहद निकालते है जो उनकी आय का प्रमुख स्त्रोत है । इस दौरान लोगों को बताया गया कि फसलों में मधुमक्खी द्वारा परागण से फसलों का उत्पादन बढता है जिससे किसानों की आय में वृद्धि होती है। शहद न केवल औषधीय गुणों से भरपूर है बल्कि यह पूर्ण भोजन भी है । शहद के अलावा इसके अन्य उत्पादों से दवाओं का निर्माण होता है और सौंदर्य प्रसाधन के निर्माण में औद्योगिक स्तर पर भी इस्तेमाल किया जाता है । संघ जनजातीय मामलों के मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में कार्य करता है जो आदिवासियों में कौशल विकास कर उनकी आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाने के लिए कार्य करता है । यह आदिवासियों में परम्परागत हस्तशिल्प को बढावा देकर उन्हें बेहतर बाजार उपलब्ध कराता है जिससे उनकी आय बढ सके। इसके लिए स्वयं सहायता समूह , गैर सरकारी संगठनों , राज्य स्तरीय जनजातीय विकास निगमों और वन विकास निगम के माध्यम से उन्हें मदद उपलब्ध करायी जाती है । संघ के क्षेत्रीय प्रबंधक संजीव माथुर ने बताया कि वनों में शहद एक प्रमुख उत्पाद है लेकिन पहले आदिवासी समुदाय के लोग अवैज्ञानिक तरीके से शहद निकालते थे जिससे मधुमक्खी को काफी नुकसान होता था । अब उन्हें वैज्ञानििक तरीके से शहद निकालने का प्रशिक्षण दिया जा रहा है और उन्हें आवश्यक उपकरण भी उपलब्ध कराये जाते हैं। देश में लगभग 90 प्रतिशत जनजाजीय लोग वन क्षेत्र और उसके आसपास रहते हैं जिससे उन्हें 60 प्रतिशत खाद्य सामग्री और औषधि मिलती है। आदिवासियों की 40 प्रतिशत आय प्रमुख वन उत्पादों से प्राप्त होता है ।

कोई टिप्पणी नहीं: