पटना। दिन सोमवार और समय दो बजे। गंगा रिर्सोट के पीछे लोग बैठे हैं। नाले के पार नाव है। लोग बैठे हैं नाव भरने के लिये।इंतजार और कड़ी धूप से बचाव कर छाया में बैठकर बातचीत कर रहे हैं कि नाव कब आयेगी? दशहरा के बाद दीपावली है। दीवाली के आगमन के पूर्व पुल निर्माण शुरू होता है। अभी 20 दिन और नाव के लिये इंतजार करते रहिये।
खेतिहर मजदूर हैं बिंद टोली के लोग
फटेहाल जिंदगी जीने को बाध्य हैं बिंद समुदाय के लोग। मेहनत मशक्कत करके जीवनव्यापन करते हैं। किसानों एवं आढ़तियों से कर्ज लेकर मालगुजारी में खेत लेकर खेती करते हैं। दुख की बात है कि खेती बर्बाद होने पर सरकारी मुआवजा नहीं मिलता है और न किसी तरह का अनुदान ही मिलता है।
सरकारी वादा अपूर्ण
कुर्जी दियारा क्षेत्र में रहते हैं बिंद समुदाय के लोग। दीघा रेल सह सड़क पुल के शुरू होने में बाधक थे। मौके पर जिला प्रशासन द्वारा समस्याओं को दूर करने का भरोसा दिलवाया। कुछ कार्यारंभ भी हुआ।तब जाकर लोग विस्थापित होने को तैयार हुए। जनवरी, 2016 के प्रथम सप्ताह से लोग नये ठिकाने में आने लगे। सभी परिवार धीरे-धीरे आने लगे। दीघा थाने के निकट से विस्थापित 19 परिवार और बिंद टोली,दीघा के 185 परिवार रहने लगे। पौने दो साल के बाद भी सरकार वादा पूरा नहीं की है। वासगीत पर्चा निर्गत नहीं किया। आवाजाही के लिये पुल नहीं निर्माण किया।
जब 2016 में बाढ़ से घिरे 204 घरों के लोग बाग
जिला प्रशासन ने भूतल भूमि पर मिट्टी और बालू डालकर भूतल को जरूर ऊंचा करवाये। आसपास के लोगों के कहने पर विधायक संजीव चौरसिया ने अधिकारियों को और अधिक भूतल को ऊंचा करने को कहने का असर अधिकारियों पर नहीं पड़ा। इसका परिणाम 204 घरों के लोगों को भुगतना पड़ा । गंगा मइया के उफान से तबाह लोग ठौर खोजने लगें। कोई बिहार विद्यापीठ, दीघा,कुर्जी सामुदायिक केंद्र,कुर्जी स्थिथ अपार्टमेंट और निर्मित फोरलेन पर रहने लगे। बाढ़ के दरम्यान बच्चे होने पर लड़का/लड़की को राशि देने की द्योषणा की गयी। सरकारी योजनानुसार कुछ को देकर खुश किया और बहुतों को ना देकर नाखुश कर दिया। अभी सामुदायिक भवन बन गया है। करीब 20 शौचालय बनाया गया है। उसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है। ऑपेन फील्ड में जाकर शौचक्रिया किया रहा है।यहां स्वच्छ भारत अभियान को ठेंगा दिखाया जा रहा है। जो विभिन्न जगहों पर करीब 5 चापाकल लगाया। उसमें अधिकांश खुट्टा बन गया है। तब पटना नगर निगम के वार्ड नम्बर- 22 C की वार्ड पार्षद रजनी देवी ने जलापूर्ति करा दी। इनके अलावे किसी मिशनरी द्वारा चापाकल लगा दिया गया है। र्हां, निर्वाधगति से गांव वालों के घरों में बिजली मिल रही है।
2017 में टापू में तब्दील बिंद टोली
यह कहकर बिंद टोली के लोग खुश हैं। सूबे के 18 जिलों में भंयकर बाढ़.आयी। हमलोगों के गांव में पानी नहीं आया। हां, तीन जगहों की राह ध्वस्त हो गयी। एल.सी.टी.,गोसाई टोला और कुर्जी। इसके कारण नगर से कट गये। बस टापू में तब्दील है बिंद टोली। इस टापू में जाने का सहारा नाव है। नाव से 3 से 4 मिनट का सफर करने का किराया लगता है 5 रू.। एक बार में 10 रू.व्यय करना पड़ता है। नाव से आवाजाही नहीं करने के उद्रेश्य से सरकारी स्कूल के गुरूजी स्कूल को उठाकर गोसाई टोला ले गये। दो टीचर के कारण दर्जनों बच्चे नाव से आवाजाही करने को बाध्य हैं। गैर सरकारी टीचर और नर्स बेखौफ नाव से आते और जाते हैं।करीब 20 दिनों के बाद ही नाव से छुटकारा मिलेगी। महाछठ पर्व के पूर्व सरकार के द्वारा पुल निर्माण किया जाता है। इसमें पप्पू यादव व गोरख राय सहयोग करते हैं। समय-समय पर पुल पर मिट्टी डालते रहते हैं।
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