शहंशाहपुर, 23 सितंबर, स्वच्छ एवं स्वस्थ भारत के लिये सफाई और शौचालय के महत्व को रेखांकित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि शौचालय का नाम इज्जतघर देना माताओं, बहनों एवं गांव का सम्मान है । इसके अलावा स्वच्छता देश में गरीबों को बीमारी से मुक्त बनाने के साथ ही उनके कल्याण का मार्ग प्रशस्त करेगी । प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के दौरे के दूसरे और अंतिम दिन एक समारोह को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘ आज मुझे खुशी हुई, सामान्य रूप से हमारे देश में शौचालय शब्द प्रचलित है। लेकिन आज मैंने जिस गांव में जा करके शौचालय की नींव रखी; वहां जितने शौचालय बने हुए थे उस पर लिखा हुआ है, इज्जतघर।’’ उन्होंने कहा ,‘‘ये शब्द मुझे इतना अच्छा लगा, ये शौचालय सचमुच में एक इज्जतघर है; खास करके हमारी बहन-बेटियों के लिए ये इज्जतघर है। और जहां इज्जतघर है, वहां घर की भी इज्जत है। जहां इज्जतघर है, वहां गांव की भी इज्जत है और इसलिए ये इज्जतघर शब्द देने के लिए, शौचालय को इज्जतघर से पहचानने के लिए, मैं उत्तर प्रदेश सरकार को बधाई देता हूं। उन्होंने शौचालय की प्रतिष्ठा बढ़ा दी है। आने वाले दिनों में जो भी इज्जत के लिए जागृत है, जिसको भी इज्जत की चिंता है, वो जरूर इज्जतघर बनाएगा, वो जरूर इज्जत का उपयोग करेगा और इज्जतवान बनेगा, ऐसा मेरा विश्वास है।’’ स्वच्छता के प्रति जरूरी जागरूकता की कमी को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा कि हममें से कोई भी व्यक्ति गंदगी में जीना पसंद नहीं करता । हर किसी को गंदगी से नफरत है और स्वच्छता हमारी जिम्मेदारी है, लेकिन यह स्वभाव हमारे देश में अभी पनपा नहीं है। हम गंदगी करेंगे और स्वच्छ कोई और करेगा, इस मानसिकता का परिणाम है कि हमें भारत को जैसा स्वच्छ बनाना चाहिये वैसा नहीं बना पा रहे हैं। आप में से कोई भी इससे इनकार नहीं कर सकता कि स्वच्छता हर नागरिक और हर परिवार की जिम्मेदारी है।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत का मतलब स्वस्थ भारत है और इसलिये हमें स्वच्छता को स्वभाव बनना चाहिए । मेरे लिये स्वच्छता गरीबों की सेवा का एक माध्यम है । उन्होंने कहा कि बीमारियां बढ़ने के मूल में गंदगी होती है। हाल में यूनिसेफ ने शौचालय के निर्माण को लेकर 10 हजार परिवारों का सर्वे किया। मैंने कल एक अखबार में पढ़ा कि अगर शौचालय घर में है तो सालाना बीमारी पर खर्च होने वाला 50 हजार रुपया बच जाएगा। मोदी ने कहा कि उन्होंने वर्ष 2022 को आजादी के 75 साल पूरे होने पर देश के हर शहरी और ग्रामीण गरीब को घर देने का बहुत बड़ा संकल्प लिया है। उन्हें मालूम है कि उन्होंने जो बीड़ा उठाया है, वह बहुत मुश्किल है।
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