पटना 16 सितंबर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माक्सर्वादी लेनिनवादी) ने रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों के प्रति केन्द्र सरकार के रवैये की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि म्यांमार में उनके घरों में आग लगाने, उन्हें उजाड़ने तथा मासूम बच्चों और महिलाओं को तरह-तरह की यातनाएं दी जा रही है जिसके कारण वे लोग पलायन करने को मजबूर हैं। भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने आज यहां कहा है कि म्यांमार सरकार रोहिंग्या को अपना नागरिक नहीं मानती है । इसलिए वहां से भगाने के लिए उनपर बर्बर हमला कर रही है जो पूरी तरह मानवताविरोधी एवं निंदनीय है। म्यांमार की सरकार संयुक्त राष्ट्र संघ के निर्देश की भी अवहेलना कर रही है । उन्होंने कहा कि म्यांमार सरकार इस कार्रवाई पर अविलंब रोक लगाये। श्री कुणाल ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र संघ के नियमों एवं मानवीय मूल्यों के आधार पर शरणार्थियों को शरण देना बहुत जायज है, लेकिन केन्द्र की मोदी सरकार रोहिंग्या मुसलमानों को संरक्षण देने की बजाए उन्हें भारत की सुरक्षा के लिए खतरा बताते हुए वापस खदेड़ने की बात कह रही है । उन्होंने केन्द्र के इस निर्णय पर दुख व्यक्त करते हुए कहा कि 40 हजार रोहिंग्या मुस्लिम शरणार्थियों को वापस म्यांमार भेजने की उनकी योजना का पुरजोर विरोध किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार की नीति सांप्रदायिक सोच से प्रभावित है।
माले राज्य सचिव ने कहा कि यह और दुखद है कि केन्द्र सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ म्यांमार सुरक्षा बलों की कार्रवाई का ही समर्थन किया है, जबकि देश के प्रबुद्ध नागरिकों, सामाजिक कार्यकर्ताओं ने संयुक्त राष्ट्र संघ से रोहिंग्या मुसलमानों को तुरंत मानवीय सहायता पहुंचाने की अपील और म्यांमार में मुसलमानों का जनसंहार रोकने की मांग की है। उन्होंने काह कि केन्द्र सरकार का यह रुख बेहद निंदनीय है। श्री कुणाल ने कहा कि मानवाधिकार आयोग भी इसके लिए म्यांमार सरकार की कई बार निंदा कर चुका है। संयुक्त राष्ट्र संघ के अनुसार विश्व में जिन समुदायों का सबसे ज्यादा जातीय सफाया किया गया है उनमें रोहिंग्या मुसलमान भी हैं। उन्होंने यह भी कहा कि आज जब कोलकाता से लेकर दिल्ली तक रोहिंग्या मुसलमानों के हक में आवाजें उठ रही हैं वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इसपर चुप्पी साध रखी है। उन्होंने कहा कि श्री कुमार का यह रवैया बेहद निराशाजनक है। माले राज्य सचिव ने रोहिंग्या मुसलमानों के जनसंहार पर तत्काल रोक लगाने की मांग करते हुए कहा कि उनकी पार्टी भाकपा-माले और इंसाफ मंच के बैनर तले 18 सितंबर से पूरे राज्य में प्रतिवाद करेगी ।
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